Shivaji Jayanti 2021 : भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो छत्रपति शिवाजी महाराज को नहीं जानता होगा।
वह देश के वीर सपूतों में से एक थे, जिन्हें ‘मराठा गौरव’ और भारतीय गणतंत्र के महानमहानायक के रूप में भी जाना जाता है।
वर्ष 1674 में, उन्होंने पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
उन्होंने कई वर्षों तक मुगलों से लड़ाई की और उन्हें धूल चटा दी।
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को एक मराठा परिवार में हुआ था।
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती हर साल 19 फरवरी को उनके जन्मदिन के अवसर पर भारत में मनाई जाती है।
इस वर्ष महान मराठा की 391 वीं जयंती के रूप में मनाया जा रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने इस दिन को राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।
देश में छत्रपति शिवाजी महाराज की 391 वीं जयंती मनाई जा रही है
आज पूरे देश में छत्रपति शिवाजी महाराज की 391 वीं जयंती मनाई जा रही है।
19 फरवरी 1630 को जन्मे वीर शिवाजी महाराज की महिमा की कहानी आज भी लोगों को सुनाई जाती है।
शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी भोंसले था जबकि माता का नाम जीजाबाई था।
शिवाजी महाराज बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह अपने पिता के साथ युद्धों के बारे में चर्चा करते थे।
कहा जाता है कि शिवाजी महाराज की बचपन से सीखने और समझने की तीव्र इच्छा थी। उनके पिता भी उन्हें हथियार चलाना सिखाते थे। Shivaji Jayanti 2021
शिवाजी महाराज ने मुगल सेना के साथ जमकर युद्ध किया
वर्ष 1670 में, उन्होंने मुगल सेना के साथ जमकर युद्ध किया। मुगलों को हराने के बाद, उन्होंने सिंहगढ़ किले पर अपना परचम लहराया। इसके बाद, 1674 में, उन्होंने पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
कई योद्धाओं ने भारतीय इतिहास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कई बहादुर योद्धाओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। उनमें से एक थे छत्रपति शिवाजी महाराज। साल 1670 में मुगलों की सेना के साथ उन्होंने जमकर लोहा लिया था.
मुगलों को हराकर सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया था. इसके बाद 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी.
शिवाजी महाराज एक महान योद्धा के रूप में जाने जाते हैं
शिवाजी महाराज को भारत के एक महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार के रूप में भी जाना जाता है। बता दें कि शिवाजी ने गोरिल्ला युद्ध की एक नई शैली विकसित की थी। शिवाजी महाराज ने अपने कार्यकाल के दौरान फ़ारसी की तुलना में मराठी और संस्कृत को अधिक प्राथमिकता दी। उन्होंने कई वर्षों तक मुगल शासक औरंगजेब का मुकाबला किया।
वर्ष 1656-57 में मुगलों के साथ लड़ाई लड़ी गई थी
वर्ष 1656-57 में मुगलों ने पहली बार शिवाजी महाराज का मुकाबला किया। उन्होने मुगल धन और सैकड़ों घोड़ों पर कब्जा कर लिया था। ऐसा कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी की मृत्यु 1680 में किसी बीमारी के कारण उनकी राजधानी पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में हुई थी। उनके बाद उनके पुत्र संभाजी को उत्तराधिकारी घोषित किया गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती का इतिहास
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती का उत्सव वर्ष 1870 में पुणे में महात्मा ज्योतिराव फुले द्वारा शुरू किया गया था। ज्योतिराव फुले जिन्होंने पुणे से लगभग 100 किलोमीटर दूर रायगढ़ में शिवाजी महाराज की समाधि की खोज की थी। बाद में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने जयंती मनाने की परंपरा को आगे बढ़ाया और शिवाजी महाराज की छवि को और अधिक लोकप्रिय बनाया, उनके योगदान को उजागर किया। उन्होंने ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े होकर शिवाजी महाराज जयंती के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोगों को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभाई थी उनकी वीरता और योगदान हमेशा लोगों को हिम्मत देते हैं, इसीलिए यह जयंती हर साल मनाई जाती है।