चीन ने फिर दी भारत को धमकी, “अमेरिका के साथ की कीमत चुकानी होगी”

चीन से भिड़ने के लिए भारत ने अमेरिका का सहारा लिया तो चीन फिर अपने राजनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा में नहीं झिझकेगा। भारत को चीन की दोस्ती गंवाने की बड़ी कीमत चुकानी होगी।'
चीन ने फिर दी भारत को धमकी, “अमेरिका के साथ की कीमत चुकानी होगी”

न्यूज – सीमा पर तनाव के बीच एक बार फिर चीन ने भारत को धमकी दी है। चीन के Global Times ने भारत के खिलाफ धमकी भरा लेख छापते हुए ऑस्ट्रेलिया को अमेरिकी सहयोगी बताते हुए पिछले दिनों हुए भारत-ऑस्ट्रेलिया शिखर वार्ता पर भी नाराज़गी जताई है।

यहीं नहीं Global Times में भारत को कोरोना और देश में फैली बेरोज़गारी की समस्या पर ध्यान देने को कहा गया है अखबार ने लिखा, 'फिलहाल सब ठीक है। सीमा पर तनाव कम हो रहे हैं। अगर मोदी सरकार चीन से दोस्ती कायम रखती है तो चीन-भारत संबंध और मजबूत होंगे, लेकिन अगर चीन से भिड़ने के लिए भारत ने अमेरिका का सहारा लिया तो चीन फिर अपने राजनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा में नहीं झिझकेगा।भारत को चीन की दोस्ती गंवाने की बड़ी कीमत चुकानी होगी।'

अखबार ने लिखा, 'हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति अधिक जटिल हो गई है, क्योंकि चीन-अमेरिका संबंध एक नए शीत युद्ध के कगार पर हैं। ऑस्ट्रेलिया और भारत ने अभी एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी का गठन किया है। इस मोड़ पर भारत के सामने भूराजनीतिक दबाव और प्रलोभन बढ़ गए। भारत ने लंबे समय से अपनी विदेश नीति में गुटनिरपेक्ष सिद्धांत का पालन किया है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या भारत अपनी कूटनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहेगा या अमेरिका के नेतृत्व वाले सहयोगियों की ओर परिवर्तनशील भूराजनीतिक माहौल के बीच जारी रहेगा।'

यदि मोदी सरकार चीन के साथ दोस्ती करने का विकल्प चुनती है, तो चीन-भारत आर्थिक संबंधों में निश्चित रूप से अधिक वृद्धि की संभावना दिखाई देगी। लेकिन अगर भारत चीन का सामना करने में अमेरिका के साथ जुड़ता है, तो चीन अपने हितों की रक्षा में संकोच नहीं करेगा, चाहे वह राजनीतिक हो या आर्थिक। चीन की दोस्ती को खोने की कीमत भारत को सहन करने के लिए बहुत अधिक होगी।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा था कि चीन और भारत ने दोनों पक्षों के बीच आम सहमति से सीमा पर तनाव कम करने के लिए कार्रवाई की है। अबतक ऐसा लगता है कि सबकुछ एक सकारात्मक दिशा की ओर बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापार सहयोग का विस्तार किया जाएगा, जो दोनों ही देशों के पक्षों के हित में है।

भारत सरकार को अपने घरेलू मुद्दों जैसे कि कोरोनो वायरस महामारी और टिड्डियों के हमलों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। वायरस के को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को हिला कर दिया है। सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, शहरी भारत में बेरोजगारी दर मई के मध्य में 27 प्रतिशत तक पहुंच गई।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ने बुधवार की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2021 में 7.3 प्रतिशत तक अनुबंध कर सकती है। इसके अलावा, निकट भविष्य में भारत पर और अधिक हमले की आशंका है, जिसकी उम्मीद है खाद्य आपूर्ति पर अतिरिक्त दबाव डालना और भारत सरकार द्वारा इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

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