Lockdown in Rajasthan : बार-बार राजस्थानियों को लापरवाह बताने से कुछ नहीं होगा, गहलोत सरकार भी तो कुछ करें ?

राजस्थान में 16 अप्रैल से लॉकडाउन लगा हुआ है। यानी 22 दिनों से राजस्थान के लोग घरों पर कैद हैं, लेकिन अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का मानना है कि राजस्थानी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं।
Lockdown in Rajasthan : बार-बार राजस्थानियों को लापरवाह बताने से कुछ नहीं होगा, गहलोत सरकार भी तो कुछ करें ?

Lockdown in Rajasthan : राजस्थान में 16 अप्रैल से लॉकडाउन लगा हुआ है।

यानी 22 दिनों से राजस्थान के लोग घरों पर कैद हैं,

लेकिन अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का मानना है कि राजस्थानी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं।

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लोगों की लापरवाही ही बताया जा रहा है।

इसलिए 6 मई की रात को नई गाइड लाइन जारी कर और सख्त लॉकडाउन की घोषणा की गई।

Lockdown in Rajasthan : लेकिन सवाल उठता है कि आखिर नई सख्ती क्या है?

किराना से लेकर फल सब्जी और डेयरी की दुकानें पहले की तरह प्रातः: 6 से 11 बजे तक खुली रहेंगी।

औद्योगिक इकाइयां भी चलती रहेंगी। निर्माण स्थलों पर श्रमिक भी कार्य करते रहेंगे।

यानी सब कुछ पहले की तरह है।

जहां तक शादी ब्याह का सवाल है तो लोग पहले भी घरों में ही संक्षिप्त शादी कर रहे थे।

असल में लॉकडाउन में सख्ती की घोषणा कर राज्य सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की है कि सरकार काम कर रही है

असल में लॉकडाउन में सख्ती की घोषणा कर राज्य सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की है कि सरकार काम कर रही है।

जबकि जमीनी हालात बहुत खराब है। चरमराई चिकित्सा व्यवस्था के कारण संक्रमित व्यक्तियों की लगातार मृत्यु हो रही है।

सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं मिलने से लोग मर रहे हैं और सरकार बार बार लापरवाही बरतने का आरोप लगा रही है। माना कि ऑक्सीजन सप्लाई की राशनिंग हो रही है, लेकिन जिन मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा है वो भी मर रहे हैं। असल में मरीजों को संभालने वाला कोई नहीं है।

सरकारी अस्पताल में दो या एक दिन में कोई चिकित्सक मरीज को देखने आता है

सरकारी अस्पताल में दो या एक दिन में कोई चिकित्सक मरीज को देखने आता है। मरीज के परिजन चिकित्सकों के लिए गुहार लगाते रहते हैं। यदि किसी संक्रमित मरीज को लकवा या हार्ट अटैक भी हुआ है तो उसका बचना बहुत मुश्किल है। सरकारी अस्पतालों में तो दूसरी बीमारियों का इलाज ही नहीं हो रहा है।

मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं मिलने पर जो मुख्यमंत्री गहलोत केन्द्र सरकार को दोषी मान रहे हैं वो गहलोत यह नहीं बता रहे हैं कि 1500 वेंटिलेटर कबाड़ में क्यों पड़े हैं? जबकि कोरोना संक्रमित मरीज के लिए वेंटिलेटर जीवन बचाने वाला यंत्र हैं।

राज्य के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदने में तो रुचि दिखा रहे

राज्य के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदने में तो रुचि दिखा रहे हैं, लेकिन कबाड़ में पड़े महंगे वेंटीलेटर को चालू नहीं करवा रहे हैं। जो सरकार नए वेंटिलेटर का उपयोग नहीं कर पा रही है उसके शासन में चिकित्सा व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।

समाचार पत्रों में रोजाना अस्पतालों की दुर्दशा के समाचार छप रहे हैं, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। अब सरकार ने अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए प्रदेश में 24 मई तक लॉकडाउन कर दिया है।

संक्रमण से घबराई सरकार बार बार अपना स्टैंड बदल रही है

पहले यह लॉकडाउन 17 मई तक था। संक्रमण से घबराई सरकार बार बार अपना स्टैंड बदल रही है। पहले जन अनुशासन पखवाड़ा मनाने की घोषणा की गई तो एक सप्ताह बाद ही रेल अलर्ट निज अनुशासन पखवाड़े की घोषणा कर दी गई। अब कहा जा रहा है कि यह सख्त लॉकडाउन है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन अब लॉकडाउन में वो ही लोग बाहर निकल रहे हैं, जिन्हें मौत से डर नहीं लगता। ऐसे लोगों पर सख्त लॉकडाउन का भी असर नहीं होगा। आमतौर पर लोग अपने घरों पर ही हैं।

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