डेस्क न्यूज़: भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से अधिक समय से चल रहा किसान आंदोलन जारी रहेगा। दिल्ली और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली गाजीपुर सीमा पर किसानों का नेतृत्व कर रहे यूनियन नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि जिस तरह से देश में कोरोना संक्रमण तेज़ी से बढ़ा है उससे किसान सावधानी बरत रहे हैं। कोरोना को मद्देनज़र रखते हुए, आंदोलन स्थल पर बहुत अधिक भीड़ नहीं करने का भी निर्णय लिया गया है। इसलिए किसान शिफ्ट में आंदोलन में शामिल होंगे।
राकेश टिकैत ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किसानों ने आंदोलन की रणनीति में कुछ बदलाव किए हैं। अब किसानों को धरनास्थलों पर अधिक भीड़ के बजाय शिफ्टों में बुलाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कोरोना की आड़ में धरना समाप्त कराना चाहती हैं, लेकिन किसान उठने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना के संबंध में किसान सभी दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन अगर इसके बहाने आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है, तो लाखों किसान दिल्ली पहुंचेंगे।
टिकैत ने किसानों से इस आंदोलन को अपने नियमित जीवन का हिस्सा बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक हमारी मांगों को नहीं माना है, अगर वे पांच साल सरकार चला सकते हैं, तो हम अगले पांच साल तक अपना आंदोलन जारी रख सकते हैं। मांगें पूरी नहीं होने पर हम 2024 तक सड़क पर बैठेंगे।
बता दें कि पिछले साल जून में केंद्र सरकार ने तीन नए कृषि कानून पेश किए थे, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध की खेती को मंजूरी देने और कई अनाज और दालों की स्टॉक सीमा को खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। किसान इस बारे में जून से आंदोलन कर रहे हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब में जून 2020 से नवंबर तक किसानों का आंदोलन चल रहा था। 26 नवंबर को, किसानों ने दिल्ली की ओर कूच करते हुए कहा कि सरकार ने प्रदर्शन पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद, 26 नवंबर 2020 से, देशभर के किसान सिंधु सीमा, टिकारी सीमा, गाजीपुर सीमा पर कृषि बिलों का विरोध कर रहे हैं।