Covishield और Covaxin की पहली डोज के बाद कौनसी वैक्सीन में बनते है ज्यादा एंटीबॉडी, जानें?

कोरोना महामारी से निपटने का अब तक का एकमात्र उपाय वैक्सीन है। देश में वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है लेकिन इसकी कमी की वजह से इसकी रफ्तार भी धीमी है। पहले जहां 6 से 8 सप्ताह के अंतराल के बाद कोवीशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज दे दी जाती थी वहीं इसे बढ़ाकर अब 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया है।
Covishield और Covaxin की पहली डोज के बाद कौनसी वैक्सीन में बनते है ज्यादा एंटीबॉडी, जानें?
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Covishield और Covaxin की पहली डोज : कोरोना महामारी से निपटने का अब तक का एकमात्र उपाय वैक्सीन है। देश में वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है लेकिन इसकी कमी की वजह से इसकी रफ्तार भी धीमी है। पहले जहां 6 से 8 सप्ताह के अंतराल के बाद कोवीशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज दे दी जाती थी वहीं इसे बढ़ाकर अब 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया है।

सरकार के इस कदम का बचाव करते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा है कि कोवीशील्ड की दो डोज के बीच इसलिए समय बढ़ाई गई क्योंकि इसकी पहली खुराक से ही मजबूत इम्यूनिटी बन रही है।

दो खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाकर 12-18 सप्ताह कर दिया गया है

Covishield और Covaxin की पहली डोज : उन्होंने कहा है कि कोविशील्ड की दो खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाकर 12-18 सप्ताह कर दिया गया है क्योंकि पहली खुराक में मजबूत इम्यूनिटी बनी है।

उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन के दोनों डोज के बीच के अंतराल में कोई बदलाव इसलिए नहीं किया गया है कि क्योंकि पहली खुराक के बाद इम्यूनिटी, कोवीशील्ड के मुकाबले तेजी से विकसित नहीं होती। कोवैक्सीन की दो डोज के बीच चार से छह सप्ताह का निश्चित है।

समितियों की सिफारिशों के बाद अंतराल को बढ़ाया गया

बलराम भार्गव ने कहा कि कोवीशील्ड की दो डोज के बीच तीन महीने का अंतर अच्छा परिणाम देगा। भार्गव ने दावा किया कि कोवैक्सीन की पहली खुराक के बाद इम्यूनिटी का लेवल उतना अधिक नहीं है।

इसका मतलब है कि दूसरी डोज चार हफ्ते बाद ली जानी चाहिए ताकि पूरा असर सुनिश्चित हो सके। वहीं कोवीशील्ड की पहली डोज कोवैक्सीन के मुकाबले ज्यादा असरदार है और इसमें पहली डोज के बाद एंटीबॉडी का लेवल बहुत बढ़ जाता है।

टीका पहली बार 15 दिसंबर को आया था। हम बहुत नए हैं और सीख रहे हैं

भार्गव ने कहा- 'टीका पहली बार 15 दिसंबर को आया था। हम बहुत नए हैं और सीख रहे हैं। परीक्षण अभी भी जारी हैं। यह ईवाल्विंग साइंस है, Covaxin की पहली खुराक देने से आपको ज्यादा एंटीबॉडी नहीं मिलती। आप इसे दूसरी खुराक के बाद हासिल कर पाते हैं। कोवीशील्ड में पहले खुराक के दौरान ही एंटीबॉडी अच्छे स्तर पर मिल जाती है।

भार्गव ने कहा कि कोवीशील्ड की दो डोज के बीच गैप को तीन समितियों कोविड वर्किंग ग्रुप, कोविड-19 पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति (NEGVAC) और नेशनल टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप की सिफारिशों के बाद बढ़ाया गया है।

कौवैक्सीन की 20 करोड़ डोज गुजरात में बनेगी

उधर कोवैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने कहा कि वह अपनी अनुषंगी के गुजरात के अंकलेश्वर स्थित संयंत्र में कोविड-19 के टीके कोवैक्सीन की और 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी। इसके साथ कंपनी का कुल वार्षिक उत्पादन एक अरब खुराक तक पहुंच जाएगा।

हैदराबाद की कंपनी ने कहा कि वह अपने पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी शिरोन बेहरिंग वैक्सीन्स के अंकलेश्वर स्थित उत्पादन संयंत्र का इस्तेमाल कोवैक्सीन की और 20 करोड़ खुराक का निर्माण करने के लिए करेगी। इन संयंत्रों में जीएमपी (अच्छे निर्माण तरीके) और जैवसुरक्षा के कड़े मानकों के तहत पहले से ही इनएक्टिवेटेड वेरो सेल प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी पर आधारित टीकों के उत्पादन का काम जारी है।

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