कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का वायरस 20 मिनट से ज्यादा हवा में नहीं टिक पाता है। यहीं कारण है कि जहां भीड़-भाड़ कम है, वहां इसका असर कम हो रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि किसी के छींकने या खांसने पर ड्रॉपलेट 3 से 4 फीट तक जाते हैं। इसके 5 से 6 फीट के बाद इसके ड्रॉपलेट कमजोर होकर खत्म हो जाते हैं। फ़िलहाल मौजूदा स्थिति के अनुसार राजस्थान में कोरोना से मौतों का आकड़ा काफी कम है।
वही इम्यूनोलॉजिस्ट और रेस्पिरेटरी डिजीज स्पेशलिस्ट डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि शहरों और महानगरों में कोविड संक्रमण तेजी से फैलता है। गांवों में इसका असर कम है। क्योंकि हवा में यह ज्यादा समय तक नहीं रह पाता। उनका कहना है कि किसी के छींकने या खांसने पर ड्रॉपलेट 3 से 4 फीट तक जाते हैं। इसके बाद 5 से 6 फीट के बाद इसके ड्रॉपलेट कमजोर होकर खत्म हो जाते हैं।
राजस्थान के 19 जिले ऐसे हैं जहां 100 से ज्यादा मरीज सामने आए हैं। जयपुर में 2358, जोधपुर में 801, उदयपुर में 677, पाली में 569, कोटा में 568, भरतपुर में 536, हनुमानगढ में 426, बीकानेर में 380, अजमेर में 270, चुरू में 252, बाड़मेर में 239, सवाई माधोपुर में 205, सीकर में 204, प्रतापगढ में 125, टोंक में 121, जैसलमेर में 117 धोलपुर में 115, बारां में 101, झालावाड़ में 94, नागौर में 85, श्रीगंगानगर में 84, झुंझुनूं में 38, जालोर में 25, करोली में 17 और बांसवाड़ा में 9 नए मरीज मिले हैं।
डॉ.वीरेन्द्र कहते है की बड़े शहरों में एक से दूसरी जगह जाने में ट्रैवल टाइम ज्यादा लगता है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली में किसी व्यक्ति को 50 किलोमीटर ट्रैवल करने में डेढ़ घंटा तक लग जाता है। जयपुर में 20 से 30 मिनट समय सिटी में लगता है। राजस्थान के बाकी जिला मुख्यालयों पर 10-15 मिनट ही शहर में ट्रैवल के लगते हैं। इसलिए कोविड संक्रमित जितनी देर तक शहर में ट्रैवल करता है, उतना ज्यादा संक्रमण का खतरा भी बढ़ता है। जबकि गांवों में जहां जनसंख्या कम है वहां संक्रमण फैलने की आशंका भी कम रहती है।
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