डेस्क न्यूज़: कोरोना संक्रमण के चलते शहरों में हालात बेकाबू हैं, लेकिन यह वायरस अब तेजी से गांवों में फैलने लगा है। सरकार छोटे शहरों, गांवों और कस्बों को इस महामारी की दूसरी लहर से दूर रखने की कोशिश कर रही है। इसका कारण यह है कि इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की अधिक कमी है और अगर इसे वहां फैलने से पहले नहीं रोका गया तो मरने वालों की बाड़ आ जाएगी। इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन इलाकों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। यह अन्य उपायों के साथ ही ग्रामीण स्तर पर कोविड के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की निगरानी और कोरोना जांच के निर्देश भी देता है। साथ ही घर में ज्यादा कम्युनिटी बेस्ड आइसोलेशन का सुझाव दिया गया है।
संक्रमण रोकना है तो अब आशा कार्यकर्ताओं को हर गांव में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समिति (VHSNC) की मदद से समय-समय पर बुखार/वायरल इंफेक्शन/गंभीर श्वसन संक्रमण आदि के मामलों की निगरानी की जानी चाहिए।
प्रदेश का सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) इन मामलों की फौरन जांच करे।
अगर किसी में ऑक्सीजन लेवल कम मिलता है या जिन लोगों को अन्य बीमारियां हैं, उन्हें जिला अस्पतालों या अन्य बड़े अस्पतालों में जल्द से जल्द भेजा जाए।
CHO को जल्द से जल्द रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
मरीजों की कोरोना रिपोर्ट आने तक उन्हें आइसोलेट रहने के लिए कहा जाए।
बिना लक्षण वाले लोग जो कोविड मरीज से 6 फीट की दूरी पर बिना मास्क के यदि 15 मिनट तक संपर्क में आए हैं, तो उन्हें क्वारंटीन में रहना चाहिए।
कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग पर ध्यान देना चाहिए और इसके लिए इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलेंस प्रोग्राम्स (IDSP) की गाइडलाइन का पालन करें।
कोरोना संक्रमित मरीज को अगर घर पर ही क्वारंटीन होने की अनुमति दी जाती है, तो उन्हें मंत्रालय द्वारा जारी किए गए सभी प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।
ऑक्सीजन लेवल की जांच करने पर पूरा ध्यान दिया जाए। VHSNC को स्थानीय पीआरआई के जरिए ये उपकरण जुटाने का निर्देश दिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों को लोन पर थर्मामीटर और पल्स ऑक्सीमीटर दिए जा सकते हैं।
क्वांरटीन के मामले में सभी मरीजों को होम आइसोलेशन किट दी जाए। इस किट में जरूरी दवाएं जैसे पैरासिटामोल 500 मिलीग्राम, टैबलेट इवरमेक्टिन, कफ सिरप और मल्टीविटामिन दवाओं के अलावा सावधानियां बताने वाला पैम्फलेट दिया जाएगा।