डेस्क न्यूज़- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अनाथ बच्चों के प्रति पश्चिम बंगाल और दिल्ली की सरकारों का रवैया असंवेदनशील है क्योंकि उन्होंने अभी तक इन बच्चों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है। अनाथ और बेसहारा बच्चें ।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सभी राज्य बच्चों के इलाज की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करें। कानूनगो ने मीडिया से कहा, "कई राज्य सरकारों ने अनाथों की मदद के लिए तेजी से काम किया है। यह एक अच्छा संकेत है कि हम बच्चों की मदद के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। यह अफसोस की बात है कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली दो राज्य जहां इन बच्चों का सर्वे नहीं हुआ है और हमें पूरी जानकारी नहीं दी गई है।
उन्होंने कहा, "बच्चों के प्रति इन दोनों सरकारों के रवैये को संवेदनशील नहीं कहा जा सकता." एनसीपीसीआर ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्यों द्वारा 29 मई तक दिए गए आंकड़ों के मुताबिक ऐसे 9346 बच्चे हैं जो कोरोना महामारी से पीड़ित हैं। बेसहारा और अनाथ हो गए हैं या अपने माता-पिता में से एक को खो दिया है।
एनसीपीसीआर ने ऐसे बच्चों की जानकारी के लिए 'बाल स्वराज' वेबसाइट शुरू की है, जहां राज्य अपना डाटा उपलब्ध करा सकते हैं। कानूनगो ने कोरोना की तीसरी लहर की संभावना का जिक्र करते हुए कहा, 'तीसरी लहर में बच्चे प्रभावित होंगे या नहीं, यह तो विशेषज्ञों को ही बताना है। लेकिन मेरा मानना है कि हमें किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए और बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाए रखना चाहिए।
उनके मुताबिक, "आईसीएमआर ने हमें बच्चों के इलाज के लिए प्रोटोकॉल दिया है। हम इसे पूरे देश में प्रसारित करने में लगे हुए हैं। हमारी कोशिश रहती है कि स्वास्थ्यकर्मी बच्चों के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार रहें। हमने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर बच्चों को एंबुलेंस में पहुंचाने के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है। एनसीसीपीसीआर प्रमुख ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पीएम केयर्स के माध्यम से इन अनाथों की मदद करने की घोषणा इन बच्चों के भविष्य को सुरक्षित और आकार देने में मदद करेगी।