पतंजलि का बड़ा दावा, ‘Coronil’ बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने में सक्षम

एलोपैथी पर अपने विवादित बयान से डाक्टरों के निशाने पर आए बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने अब दावा किया है कि उनकी दवा कोरोनिल बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने में सक्षम है। यह दवा अभी तक कोरोना के माइल्ड और लक्षणविहीन रोगियों को कोरोना संक्रमण से बचाने में उपयोग की जा रही है।
पतंजलि का बड़ा दावा, ‘Coronil’ बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने में सक्षम
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पतंजलि का बड़ा दावा : एलोपैथी पर अपने विवादित बयान से डाक्टरों के निशाने पर आए बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने अब दावा किया है कि उनकी दवा कोरोनिल बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने में सक्षम है। यह दवा अभी तक कोरोना के माइल्ड और लक्षणविहीन रोगियों को कोरोना संक्रमण से बचाने में उपयोग की जा रही है।

कंपनी का दावा है कि कोरोनिल की दवा की डोज कम करके उसे पानी या शहद के साथ बच्चों को देने से उन्हें कोरोना होने की संभावना बहुत कम हो जाती हैं। इसके साथ-साथ अच्छी गुणवत्ता का च्यवनप्राश देकर बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित करना बेहद कारगर साबित होगा।

पतंजलि का बड़ा दावा : पतंजलि आयुर्वेद के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता अलग किस्म की होती है और रोगों से लड़ने की उनकी प्रकृति भी अलग होती है।

लेकिन हर परिस्थिति में कोरोना के वायरस को खत्म करने के लिए कोरोनिल का उपयोग बेहतर लाभ देने वाला है। अगर बच्चा स्तनपान करने की अवस्था में है तो उसे मां के दूध के साथ कोरोनिल की एक चौथाई गोली मिश्रित करके दी जा सकता है।

कोरोनिल की आधी गोली और आठ-दस वर्ष की आयु के बच्चे को एक-एक गोली दिन में तीन बार दी जा सकती है

लेकिन अगर बच्चे की आयु चार-पांच वर्ष या इससे ऊपर हो चुकी है तो उसे कोरोनिल की आधी गोली और आठ-दस वर्ष की आयु के बच्चे को एक-एक गोली दिन में तीन बार दी जा सकती है। बच्चों की रूचि को ध्यान में रखते हुए यह दवा गर्म जल या शहद में मिलाकर दी जा सकती है।

बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता बहुत अच्छी होती है। यही कारण है कि किसी रोग की चपेट में आने पर वे ज्यादा जल्दी से ठीक भी होते हैं। लेकिन कोरोना विषाणु की आक्रामकता को देखते हुए इसे और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्हें अच्छी कंपनी का बना हुआ च्यवनप्राश दिया जाना चाहिए।

कोरोनिल दवा भी बच्चों के लिए सामान रूप से कारगर साबित होगी

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि बच्चों के लिए अलग से कोई दवा विकसित करने पर अभी कोई विचार नहीं किया जा रहा है। अभी तक इसका बच्चों पर कोई परीक्षण भी नहीं किया गया है, लेकिन आयुर्वेद की दवाओं की प्रकृति के अनुसार ये दवाएं सबके लिए एक समान उपयोगी होती हैं और इसी प्रकार कोरोनिल दवा भी बच्चों के लिए सामान रूप से कारगर साबित होगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना के माइल्ड और लक्षणहीन रोगियों पर कोरोनिल बेहद कारगर साबित हो रही है। उन्हें पूर्ण विश्वास है कि यह दवा बच्चों के लिए भी सामान रूप से उपयोगी होगी।

किसी थेरेपी से 100 फीसदी रोगी ठीक नहीं होते

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि दुनिया की कोई भी मेडिकल थेरेपी यह दावा नहीं कर सकती कि उसके सभी-सभी सौ फीसदी रोगी उसके उपचार से ठीक हो जाते हैं। एलोपैथी से भी जिन मरीजों का उपचार हो रहा है, उसके लिए प्रोटोकॉल में बार-बार बदलाव हो रहा है। यह साबित करता है कि यहां भी बार-बार चीजों को समझने की जरूरत पड़ रही है। यही बात अन्य थेरेपी के साथ भी हो सकती है।

आयुर्वेद ऐसे मरीजों की ज्यादा बेहतर ढंग से देखभाल कर सकते हैं

उन्होंने कहा कि इसी तरह आयुर्वेद की भी कुछ सीमाएं हैं। एलोपैथी के डॉक्टरों को चाहिए कि वे कोरोना के बेहद गंभीर मरीजों, जिन्हें वेंटीलेटर या आईसीयू की आवश्यकता है, उन्हें अपने पास रखकर बाकी सभी माइल्ड और लक्षणहीन रोगियों को आयुर्वेद को सौंप दें। क्योंकि आयुर्वेद ऐसे मरीजों की ज्यादा बेहतर ढंग से देखभाल कर सकते हैं।

माइल्ड स्तर तक के मरीजों का रोग प्रतिरोधी क्षमता में सुधार कर उन्हें ठीक किया जा सकता है

अब तो यह अनुभव से भी साबित हो गया है कि माइल्ड स्तर तक के मरीजों का उनके घर पर ही रखकर उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता में सुधार कर उन्हें ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोनिल की इसी क्षमता का उपयोग दुनिया को इस महामारी से बचाने में किए जाना चाहिए।

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