डेस्क न्यूज़: उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे रेत में लाश को दफनाने के मामले में सियासत अब और तेज हो गई है। अब इस मामले पर सीएम योगी आदित्यनाथ के निजी कार्यालय की ओर से सफाई दी गई है। योगी आदित्यनाथ के ट्विटर हैंडल से एक अखबार की कॉपी ट्वीट करते हुए लिखा गया कि तीन साल पहले भी गंगा के किनारे ऐसी ही तस्वीर थी।
योगी आदित्यनाथ कार्यालय ने अखबार की कॉपी ट्वीट करते हुए ट्वीट किया, "कोरोना नहीं था, फिर भी तीन साल पहले गंगा किनारे की तस्वीर कुछ ऐसी ही थी." यह प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर घाट के हॉल को दर्शाता है। रिपोर्ट में एक तरफ 18 मार्च 2018 की तस्वीर थी और दूसरी तरफ हाल के दिनों की।
इसमें कहा गया है कि यूपी में कई हिंदू परिवारों में पूर्वजों द्वारा परंपरा का पालन किया जा रहा है, लेकिन गंगा की सफाई के मामले में यह परंपरा अच्छी नहीं है। बता दें कि पिछले दिनों प्रयागराज, उन्नाव, बिल्हौर, बलिया और गाजीपुर जैसे जिलों में गंगा में तैरते या रेत में दबे शव मिलने से हड़कंप मच गया था। विपक्ष ने इसको लेकर योगी सरकार पर हमला कर दिया और कोरोना संक्रमण से हुई मौतों पर सरकार के दावे पर सवाल उठाया।
उधर, श्रृंगवेरपुर घाट पर दबे शवों से चादर और कपड़े निकालने के मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में दो लोग होंगे- एडीएम और एएसपी (गंगापार)। कमेटी इस बात की जांच करेगी कि शवों से चादर और कफन हटाने के पीछे क्या मंशा थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि प्रयागराज के कई वीडियो वायरल हुए थे जिसमें गंगा किनारे दबे शवों से रामनामी की चादर उतारी जा रही थी।
इसके लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस नेताओं ने योगी सरकार की आलोचना की है। प्रियंका गांधी ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा,'जीते जी ढंग से इलाज नहीं मिला। कितनों को सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं मिला। सरकारी आंकड़ों में जगह नहीं मिली। अब कब्रों से रामनामी भी छीनी जा रही है।'
प्रियंका ने आगे लिखा, 'छवि चमकाने की चिंता में दुबली होती सरकार पाप करने पर उतारू है। ये कौन सा सफाई अभियान है? ये अनादर है मृतक का, धर्म का, मानवता का।' हालांकि नगर निगम की दलील है कि तेज हवा से शव खुल गए थे, उन पर फिर से रेत डाली जा रही है।