कोरोना ने कर्जदार बनायाः सालभर में हर शख्स पर कर्ज 34 हजार रुपए से बढ़कर 52 हजार रुपए हुआ

कोरोना ने न केवल लोगों को बीमार किया, बल्कि उन्हें कर्जदार भी बनाया। कोरोना की वजह से नौकरियां चली गईं और आमदनी घट गई। महंगाई बढ़ी और मेडिकल समेत अन्य खर्चों का बोझ भी बढ़ा। इन खर्चों को पूरा करने के लिए भारतीय परिवारों ने कर्ज का सहारा लिया
कोरोना ने कर्जदार बनायाः सालभर में हर शख्स पर कर्ज 34 हजार रुपए से बढ़कर 52 हजार रुपए हुआ
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कोरोना ने न केवल लोगों को बीमार किया, बल्कि उन्हें कर्जदार भी बनाया। कोरोना की वजह से नौकरियां चली गईं और आमदनी घट गई। महंगाई बढ़ी और मेडिकल समेत अन्य खर्चों का बोझ भी बढ़ा। इन खर्चों को पूरा करने के लिए भारतीय परिवारों ने कर्ज का सहारा लिया। ऐसे में एक साल में हर व्यक्ति पर कर्ज का बोझ 34 हजार रुपये से बढ़कर 52 हजार रुपये हो गया है. एसबीआई की ताजा रिपोर्ट से भी यह बात साफ हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में परिवारों पर कर्ज का आंकड़ा एक साल में बढ़कर जीडीपी का 37.3% हो गया है। पिछले साल यह 32.5% था।

कोरोना ने न केवल लोगों को बीमार किया, बल्कि उन्हें कर्जदार भी बनाया

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में कर्ज

का आंकड़ा जीडीपी का 30.1% था. जो 4 साल में बढ़कर 37.3% हो

गया है। यानी प्रतिशत के लिहाज से यह आंकड़ा 23 फीसदी बढ़ा है।

2021 के बजट के मुताबिक हमारी जीडीपी 194.81 लाख करोड़

रुपये थी। इस लिहाज से अगर घरेलू कर्ज का हिस्सा 37.3% है,

तो इसका मूल्य लगभग 72.66 लाख करोड़ रुपये होगा।

वहीं, वर्ल्डोमीटर के मुताबिक 2021 में भारत की जनसंख्या 139 करोड़ है।

अब अगर हम कुल जनसंख्या और घरेलू खर्च के आंकड़ों की गणना करें,

तो भारत में हर व्यक्ति पर औसतन 52.12 हजार रुपये का कर्ज है।

इस हिसाब से साल 2017-18 में यह आंकड़ा 29,385 रुपये था। यानी 7 साल में लोगों पर कर्ज 78% बढ़ा।

जीएसटी लागू होने के बाद लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ा

रिपोर्ट से एक और बात सामने आई है कि 1 जुलाई 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद से भारतीय परिवारों पर कर्ज लगातार बढ़ रहा है। जीएसटी लागू होने के समय यानी जुलाई 2017 में बेरोजगारी दर 3.4% और खुदरा मुद्रास्फीति 2.41% थी। जून 2021 में बेरोजगारी दर बढ़कर 9.17% और खुदरा महंगाई दर 5.52% हो गई। ऐसे में वित्तीय वर्ष 2017-18 के बाद के चार वर्षों में परिवार पर कर्ज लगातार बढ़ा है।

कोरिया के लोगों पर सबसे ज्यादा कर्ज

बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के मुताबिक, जीडीपी में घरेलू कर्ज की सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और जापान शामिल हैं, जो भारत से भी आगे हैं।

देश की कुल अर्थव्यवस्था में से घरेलू कर्ज के मामले में कोरिया दुनिया में सबसे आगे है। यहां जीडीपी में घरेलू कर्ज की हिस्सेदारी 103.8 फीसदी है। इसके बाद हांगकांग (91.2%) और यूके (90.0%) का स्थान है। चीन में यह आंकड़ा 61.7% है, जो कि सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अमेरिका में 79.5% है।

इधर, भारत सरकार जगह-जगह पाबंदियों में ढील दे रही है, जिससे आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौटने लगी हैं. इसके चलते स्थिति में सुधार होता दिख रहा है। लेकिन तीसरी लहर की आशंका भी बढ़ रही है। ऐसे में मेडिकल खर्च बढ़ने से परिवारों पर कर्ज का यह आंकड़ा और भी बढ़ने की संभावना है.

कोरोना की तीसरी लहर से चिंता

देश में अभी भी कोरोना की समस्या जस की तस बनी हुई है. वायरस के नए वेरिएंट 'डेल्टा' से थर्ड वेव की चिंता बढ़ती जा रही है। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक अगले महीने यानी अगस्त में भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है, जिसका पीक सितंबर में आ सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी लहर में कोरोना के नए मामले दूसरी लहर से डेढ़ से दो गुना ज्यादा होंगे. हालांकि राहत की बात यह है कि राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में 60 साल से अधिक उम्र के करीब 100 फीसदी लोगों को टीका लगाया जा चुका है, जिनमें से ज्यादातर को दूसरी खुराक भी मिल चुकी है। इससे तीसरी लहर में लोगों के प्रभावित होने की संभावना कम है।

देश में बढ़ रही टीकाकरण की रफ्तार

CoWIN की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 9 जुलाई तक 29 करोड़ 71 लाख 50 हजार 970 लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है, जबकि 6 करोड़ 98 लाख 85 हजार 934 लोगों को दूसरी खुराक मिल चुकी है.

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