डेस्क न्यूज़- राजस्थान में एक तरफ जहां कोरोना के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एक नया खतरा म्यूकोमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के 700 मामले सामने आ चुके हैं। शुक्रवार देर शाम स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने मरीजों की पहचान के लिए घर-घर जाकर सर्वे करने के आदेश दिए हैं। कोरोना पर राहत ।
कोरोना की बात करें तो राजस्थान में 35 दिन
बाद शुक्रवार को 7 हजार 6,225 मामलों
की पुष्टि हुई, जबकि 129 लोगों की मौत
हुई। वहीं राहत की बात यह है कि 18,264
मरीज ठीक हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ के बाद
राजस्थान देश का 10वां राज्य बन गया जहां कुल संक्रमितों की संख्या 9 लाख को पार कर गई है।
मरीजों के तेजी से ठीक होने का नतीजा है कि प्रदेश के हर बड़े अस्पताल में लोगों को आसानी से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बेड मिलने लगे हैं। एसएमएस अस्पताल में गंभीर मरीजों की संख्या भी अब कम होने लगी है। यहां के 136 आईसीयू बेड में से 10 फीसदी खाली हैं। हालांकि, सबसे बड़े डेडिकेटेड कोविड अस्पताल आरयूएचएस में गंभीर रोगियों के लिए आईसीयू बेड और वेंटिलेटर वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं।
जिलेवार स्थिति को देखें तो शुक्रवार को जयपुर में सबसे ज्यादा 1,251 मरीज हैं, जबकि 28 मरीजों की मौत हुई, और 2,897 मरीज ठीक हो हुए हैं। जयपुर में मरीजों की संख्या में कमी का नतीजा यह है कि अब ऑक्सीजन, बेड की लड़ाई लगभग खत्म हो चुकी है। पिछले 10 दिनों में सक्रिय मामलों की संख्या भी 50 हजार से घटकर 28,689 हो गई है।
राज्य में 33 में से 14 जिले ऐसे हैं, जहां 100 से भी कम मरीज मिले हैं। जालोर जिले में सबसे कम 12 मरीज मिले हैं। जालौर के अलावा सीकर, सिरोही, राजसमंद, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर, करौली, झालावाड़, धौलपुर, दौसा, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और बारां जिलों में भी 100 से कम मामले मिले हैं
राजस्थान में मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में तेजी से रिकवरी हो रही है। 10 दिन पहले तक 24,400 से ज्यादा एक्टिव केस थे, जो अब घटकर 9231 हो गए हैं। रिकवरी रेट भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। आज राज्य में ठीक होने की दर 85 प्रतिशत के करीब है। सबसे अच्छा रिकवरी रेट जालौर में 94 फीसदी है, जबकि जैसलमेर में सबसे कम 63 फीसदी है।