कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली विश्वविद्यालय का बड़ा नुकसान, 40 दिनों में 60 से ज्यादा शिक्षकों-स्टाफ की मौत

कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने दिल्ली विश्वविद्यालय को इस सदी का सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है. बीते 40 दिनों में DU के 60 से ज्यादा शिक्षकों और दूसरे स्टाफ की मौत हो चुकी है. इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय के नामचीन शिक्षक मसलन राजनीति शास्त्र की वीना कुकरेजा, ऑस्ट्रो फिजिक्स के विनय गुप्ता और प्रख्यात संगीतकार डेबू चौधरी और उनके बेटे प्रतीक चौधरी भी शामिल हैं
कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली विश्वविद्यालय का बड़ा नुकसान, 40 दिनों में 60 से ज्यादा शिक्षकों-स्टाफ की मौत

कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने दिल्ली विश्वविद्यालय को इस सदी का सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है. बीते 40 दिनों में DU के 60 से ज्यादा शिक्षकों और दूसरे स्टाफ की मौत हो चुकी है. इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय के नामचीन शिक्षक मसलन राजनीति शास्त्र की वीना कुकरेजा, ऑस्ट्रो फिजिक्स के विनय गुप्ता और प्रख्यात संगीतकार डेबू चौधरी और उनके बेटे प्रतीक चौधरी भी शामिल हैं.

कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने दिल्ली विश्वविद्यालय को इस सदी का सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है

कोरोना की दूसरी लहर में जान गंवाने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के

नामचीन शिक्षकों में प्रख्यात सितार वादक देबू चौधरी और उनके बेटे प्रतीक

चौधरी. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के लोकतंत्र पर दर्जनों किताबें और

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र की हेड वीना कुकरेजा,

ऑस्ट्रो फिजिक्स के मशहूर वैज्ञानिक और DU के डीन रहे विनय गुप्ता,

चेतन जस्सल, राकेश गुप्ता, अमरजीत कौर, अमेश्वर नायक जैसे शिक्षक शामिल हैं.

इन्हीं में से एक नाम प्रोफेसर राकेश गुप्ता का है. फिजिकल एजुकेशन के बेहतरीन शिक्षक राकेश गुप्ता के परिवार में अब पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा बचे हैं

इन्हीं में से एक नाम प्रोफेसर राकेश गुप्ता का है.

फिजिकल एजुकेशन के बेहतरीन शिक्षक राकेश गुप्ता के परिवार में अब पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा बचे हैं.

अपनी जिंदगी में उन्होंने तमाम छात्रों को नई बुलंदियों पर पहुंचाया

लेकिन जब वो कोरोना से बीमार हुए तो दिल्ली में उनको एक अदद बेड तक नहीं मिला.

खुद उनका भतीजा एंबुलेंस चलाकर लुधियाना लेकर गया, जहां 12 दिन भर्ती रहने के बाद 4 मई को उनकी मौत हो गई.

उनकी पत्नी नीतू गुप्ता ने कहा, 'दिल्ली में तो बेड मिल नहीं रहे थे

तो किसी ने हमसे कहा कि लुधियाना में मिल सकता है.

हम रात को वहीं लेकर गए, 22 तारीख को हमने वहां एडमिट करवाया.

वही (राकेश गुप्ता) हमारी फैमिली के बैक बोन थे.

उनके रहते हमें कभी परेशान नहीं होना पड़ा.

अब वो नहीं हैं तो सब कुछ हमें ही करना पड़ेगा.'

दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल कॉलेज में राजनीति शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर अमेश्वर नायक की कोरोना से मौत हो गई

दिल्ली में करीब दस हजार शिक्षक हैं, इनमें बड़ी संख्या में ऑडॉक शिक्षक या कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल कॉलेज में राजनीति शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर अमेश्वर नायक की कोरोना से मौत हो गई. घर में अब पत्नी और एक दो साल का बच्चा है. विश्वविद्यालय से कॉन्ट्रैक्ट टीचर को कोई सुविधा नहीं मिलती है, लिहाजा अब उनकी पत्नी प्रिया ओडिशा लौट गई हैं.

उनकी पत्नी प्रिया ने कहा, 'उन्होंने अपनी जिंदगी के बेहतरीन साल विश्वविद्यालय को दिए लेकिन अब मेरा और छोटे बच्चे का गुजारा कैसे चलें, हमें तो कोई मदद भी नहीं मिल रही है. बस थोड़ा बहुत फैकल्टी मेंबर ने अपने से दिया था.' दिल्ली विश्वविद्यालय की शिक्षक चेतन जस्सल और उनके पति पवन जस्सल की कोरोना से मौत हो गई. बिना माता-पिता के उनके दोनों बेटे अब चंडीगढ़ में अपने चाचा के पास रहते हैं.

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने एक सूची जारी करके कहा कि बीते 40 दिनों में उनके 40 शिक्षकों की मौत हुई है

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने एक सूची जारी करके कहा कि बीते 40 दिनों में उनके 40 शिक्षकों की मौत हुई है. इसमें अगर दूसरे कर्मचारियों को जोड़ें तो 40 दिन में 60 लोगों की मौत हो चुकी है. शिक्षक संघ का कहना है कि ज्यादातर मौतें ऑक्सीजन और बेड न मिलने से हुई हैं.

कोरोना की पहली लहर में दिल्ली विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों की मौत हुई थी लेकिन दूसरी लहर में ऐसे तमाम शिक्षकों की मौत हुई है, जो विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि देश के शिक्षा जगत और छात्रों के लिए खासे अहम थे.

दिल्ली विश्वविद्यालय की देशभर में प्रतिष्ठा इस इमारत से नहीं बल्कि यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों और उनके तैयार किए गए छात्रों की वजह से बनी है

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय की देशभर में प्रतिष्ठा इस इमारत से नहीं बल्कि यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों और उनके तैयार किए गए छात्रों की वजह से बनी है. खुद कार्यवाहक वीसी मानते हैं कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने उनके ऐसे शिक्षकों को छीना है, जिसकी कमी लंबे समय तक नहीं पूरी हो पाएगी.

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