कोरोना काल में भारत को मिला रहा इन देशोँ का साथ, मेडिकल सामानों की आपूर्ति शुरू

कोरोना वायरस ने भारत की स्थिति बिगाड़ कर रख दी है, खासकर कोरोना वायरस संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए जिन मेडिकल सामनों की जरूरत होती है
कोरोना काल में भारत को मिला रहा इन देशोँ का साथ, मेडिकल सामानों की आपूर्ति शुरू

डेस्क न्यूज़- कोरोना वायरस ने भारत की स्थिति बिगाड़ कर रख दी है, खासकर कोरोना वायरस संक्रमण

से लोगों को बचाने के लिए जिन मेडिकल सामनों की जरूरत होती है, उसकी किल्लत ने देश

की हालत को और खराब कर रखा है, ऑक्सीजन की कमी से हजारों लोगों की अभी तक मौत हो चुकी है,

वहीं अस्पतालों में बेड्स और वेंटिलेटर्स की भी कमी है, भारत की विकराल स्थिति को देखते हुए

अब अंतर्राष्ट्रीय जगत से भारत को मदद मिलना शुरू हो गया है, अमेरिका के अलावा ब्रिटेन,

यूरोपीयन यूनियन, फ्रांस और जर्मनी ने भारत की मदद करनी शुरू कर दी है, इन देशों ने भारत

को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, पीपीई किट, वैक्सीन, वैक्सीन बनाने का रॉ मैटेरियल्स,

वेंटिलेटर्स की सप्लाई करनी शुरू कर दी है।

अमेरिका देगा वैक्सीन बनाने का सामान

आखिरकार अमेरिका भारत को वैक्सीन बनाने का कच्चा माल देने के लिए तैयार हो गया है,

अंतर्राष्ट्रीय प्रेशर के बाद अमेरिका के एनएसए जैक सुलीवन ने भारतीय एनएसए अजित डोवल से बात की,

जिसके बाद अमेरिका ने भारत को वैक्सीन बनाने का कच्चा माल देने की इजाजत दे दी है,

भारत में एक मई से 18 साल से उपर के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी, लिहाजा भारत में काफी ज्यादा

वैक्सीन की डोज चाहिए, अमेरिका अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को वैक्सीन बनाने का रॉ-मैटेरियल भेजेगा,

ताकि वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ सके, इससे पहले अमेरिका लगातार वैक्सीन बनाने के रॉ मैटेरियल

देने की बात पर आनाकानी कर रहा था आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

ने मेडिकल संबंधित सामानों पर डिफेंस प्रोटेक्शन एक्ट लगाते हुए उसकी सप्लाई पर प्रतिबंध लगा दिया था,

जिसे अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी जारी रखा हुआ है, हालांकि जब अमेरिका की पूरी दुनिया में

भारी किरकिरी होने लगी तब अमेरिका ने प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया है।

भारत को मिल रही अंतर्राष्ट्रीय मदद

भारत के लिए ब्रिटेन से राहत भरी खबर आई है, ब्रिटेन ने कोविड महामारी से लड़ाई में भारत

की मदद के लिए रविवार को वेंटीलेंटर और ऑक्सीजन कंसट्रेटर समेत जीवन रक्षण मेडिकल

उपकरणों की खेप भेजनी शुरू कर दी है, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक बयान

में कहा सैकड़ों ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और वेंटिलेटर सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण अब

ब्रिटेन से भारत के रास्ते पर हैं जो इस भयानक वायरस से जिंदगी को हो रहे नुकसान को रोकने

के प्रयास में सहायता करेंगे, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आगे कहा कोविड-19 के खिलाफ

इस चिंतिंत करने वाली लड़ाई में हम एक मित्र और भागीदार के रूप में भारत के साथ कंधे से

कंधा मिलाकर चल रहे हैं, हम भारत सरकार के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे और मैं यह

सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं कि ब्रिटेन महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय

समुदाय का समर्थन करने के लिए सब कुछ कर सकता है।

यूरोपीयन यूनियन से मदद

वहीं यूरोपीयन यूनियन ने भी भारत की मदद करनी शुरू कर दी है, यूरोपीय संघ (ईयू) आपदा प्रबंधन

की कमिश्नर जैनेज लेनार्किक ने ट्वीट कर लिखा भारत से सहायता की अपील पर हमने ईयू नागरिक

सुरक्षा तंत्र को एक्टिवेट कर दिया है, यूरोपीय संघ भारत के लोगों की मदद के लिए सहायता जुटाने

की पूरी कोशिश करेगा, हमारा इमरजेंसी रिस्पॉन्स कोऑर्डिनेशन सेंटर (ईआरसीसी) पहले से ही

ईयू मिलिट्री स्टाफ के साथ सहयोग कर रहा है जो तत्काल आवश्यक ऑक्सीजन और दवा तेजी से

उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं, यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस कठिन

घड़ी में भारत के साथ एकजुटता दिखाई है, भारत में महामारी की स्थिति से चिंतित हूं,

हम समर्थन करने के लिए तैयार हैं, यूरोपीय संघ नागरिक सुरक्षा तंत्र के माध्यम से सहायता के

लिए भारत के अनुरोध पर तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए संसाधनों का तेजी से उपयोग कर रहा है,

हम भारतीय लोगों के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़े हैं।

जर्मनी देगा इमरजेंसी मदद

वहीं जर्मनी ने कहा है कि वो कोविड से लड़ाई में भारत के लिए इमरजेंसी मेडिकल सहायता तैयार कर रहा है

जिसे बहुत जल्द भारत भेजा जाएगा, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने भी कहा कि उनकी सरकार भारत के

लिए आपातकालीन सहायता तैयार कर रही है। मार्केल ने अपने प्रवक्ता स्टेफेन साइबेरट द्वारा ट्विटर

पर साझा किए गए संदेश में कहा, "भारत के लोगों, कोविड-19 के चलते फिर से आपके समुदाय पर

आए भयानक दुख पर मैं सहानुभूति व्यक्त करना चाहती हूं, हालांकि जर्मनी क्या सहायता प्रदान करेगा,

इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई लेकिन डेर स्पीगल नामक साप्ताहिक ने अनाम स्रोतों का हवाला

देते हुए बताया है कि जर्मनी के सशस्त्र बलों को ऑक्सीजन की आपूर्ति को व्यवस्थित करने में मदद करने का अनुरोध मिला है।

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