डेस्क न्यूज़- पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद भी हिंसा का दौर जारी है। दावा किया जा रहा है कि लगातार हो रही हिंसा की वजह से राज्य में लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई हैं। इसमें दावा किया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर पलायन और लोगों का आंतरिक विस्थापन हुआ है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलिस और 'राज्य प्रायोजित गुंडे' आपस में घुलमिल रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस मामलों की जांच नहीं कर रही है और जिनको जान का खतरा हैं, उनको सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रही है। बंगाल हिंसा में पलायन ।
जानकारी के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि
हिंसा के डर से लोग पलायन कर रहे है या पलायन को
मजबूर किया जा रहा है। उन्हें पश्चिम बंगाल के भीतर
और बाहर आश्रयों या शिविरों में रहने के लिए मजबूर किया
जाता है। याचिका में एक लाख से अधिक
लोगों के विस्थापन का दावा किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य प्रायोजित हिंसा के कारण लोगों का पश्चिम बंगाल में पलायन एक गंभीर मानवीय मुद्दा है। यह लोगों के अस्तित्व का मामला है। इन लोगों को दयनीय परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने शुक्रवार (21 मई) को न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद-355 के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए राज्य को आंतरिक अशांति से बचाना चाहिए। राज्य में राजनीतिक हिंसा, टारगेटेड हत्या और बलात्कार आदि की घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की गई है। साथ ही मांग की गई कि विस्थापितों के लिए तत्काल शिविर, भोजन, दवाई आदि की व्यवस्था की जाए।
इसके अलावा, केंद्र सरकार को प्रवास के पैमाने और कारणों का आकलन करने के लिए एक जांच आयोग गठित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। विस्थापितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करेगा।