डेस्क न्यूज़- आतंकी हाफिज अब्दुल मजीद की जमानत अर्जी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। आतंकी अब्दुल मजीद अपने माता-पिता की सेवा के लिए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांग रहा था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आरिफ अली खान ने कहा कि याचिकाकर्ता मानवीय स्थिति पर जमानत की मांग कर रहा है। उनके पिता वास्तव में अस्वस्थ हैं और वे इकलौते पुत्र हैं, उन्होंने 14 वर्षों तक सेवा की है। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक महीने की जमानत दी थी।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि हम समय नहीं बढ़ाएंगे, आपने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जब आपकी एसएलपी यहां लंबित थी, तो आपको पैरोल के लिए हाईकोर्ट नहीं जाना चाहिए था। पीठ ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि समर्पण की अवधि बढ़ाने के आपके आवेदन को इस अदालत ने 18 दिसंबर को खारिज कर दिया था, इसलिए आप उच्च न्यायालय गए। आपका आचरण प्रामाणिक नहीं है।
24 नवंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के दो दोषियों को उनके माता-पिता की देखभाल के लिए एक महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी। हाफिज अब्दुल मजीद और अरुण कुमार जैन और कुछ अन्य को गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम की धारा 18, 18बी और 20 के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
उच्च न्यायालय ने सजा को बरकरार रखा और सजा को 14 साल के कठोर कारावास में बदल दिया। आरोपियों के खिलाफ मामला यह था कि उन्होंने कथित तौर पर गोला-बारूद और नकली भारतीय मुद्रा एकत्र की और पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए एक टीम बनाने की भी कोशिश की।