न्यूज़- केंद्र और राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी देश में कोरोना के 91 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। सोमवार से नए नियमों के साथ लॉकडाउन का चौथा चरण लागू होगा। इस बीच प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला जारी है। ट्रेन, बस और निजी वाहन नहीं मिलने से कई मजदूरों ने पैदल ही घरों का रुख कर दिया है। जिस वजह से सड़क हादसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की मौत के ये आंकड़े केंद्र और राज्य सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खोल रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 54 दिनों में 134 प्रवासी मजदूरों ने अलग-अलग हादसों में अपनी जान गंवाई है। जिसमें से ज्यादातर मौतें लॉकडाउन-3 के ऐलान के बाद हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक 6 मई से सड़कों और रेल की पटरियों पर 19 अलग-अलग घटनाओं में 96 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है। आर्थिक सर्वे 2016-17 के मुताबिक देश में अलग-अलग हिस्सों में दस करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर हैं। केंद्र सरकार का दावा है तीसरे चरण का लॉकडाउन शुरू होने के बाद 1000 श्रमिक ट्रेनों की मदद से 10 लाख मजदूरों को घर पहुंचाया गया। ऐसे में देश में प्रवासी मजदूरों की संख्या के हिसाब से तो ये आंकड़े बहुत ही कम है। जिस वजह से अभी भी बड़ी संख्या में मजदूर फंसे हुए हैं।
कुछ दिनों पहले लॉकडाउन और प्रवासी मजदूरों को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी। जिसमें केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि लॉकडाउन के पहले चरण में 37,978 राहत शिविरों में लगभग 14.3 लाख लोगों को रखा गया था। इस दौरान 1.3 करोड़ लोगों को भोजन प्रदान करने के लिए अतिरिक्त 26,225 भोजन शिविर खोले गए थे।