रेमडेसिविर के बाद पटना के अस्पतालों में अब इस इंजेक्शन की किल्लत ?

इस बीच राजधानी पटना के अस्पतालों को लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी (Liposomal Amphotericin-B) इंजेक्शन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है
रेमडेसिविर के बाद पटना के अस्पतालों में अब इस इंजेक्शन की किल्लत ?

बिहार में कोरोना वायरस की रफ्तार लगातार कम हो रही है। रविवार को सूबे में 1475 नए मामले सामने आए, इस दौरान महामारी से 52 और मरीजों की जान चली गई। कोरोना संक्रमण के घटते मामलों के बीच म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस के केस खतरनाक रूप से बढ़ रहे हैं। अब तक 300 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। इस बीच राजधानी पटना के अस्पतालों को लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी (Liposomal Amphotericin-B) इंजेक्शन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।

ब्लैक फंगस के बढ़ते केस के बीच इस इंजेक्शन की कमी

इस इंजेक्शन का इस्तेमाल ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के इलाज में किया जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस एंटी-फंगल इंजेक्शन की कमी के चलते पटना एम्स और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) के डॉक्टर वैकल्पिक दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। बिहार सरकार ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इन दोनों अस्पतालों को खास तौर से चुना है।

डॉ का यह मानना है

हालांकि, इस इंजेक्शन की कमी के चलते मरीजों का साथ-साथ डॉक्टर भी परेशान हैं और वैकल्पिक दवाओं का रुख कर रहे हैं। ये बिल्कुल उसी तरह से है जैसे कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कमी हो गई थी। पटना एम्स में कोविड -19 के नोडल अधिकारी डॉ संजीव कुमार ने कहा कि अस्पताल में ब्लैक फंगस से संक्रमित 40 मरीज है, जिनको उनके वजन के आधार पर इस इंजेक्शन की 5-7 शीशियों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि इन मरीजों की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर उन्हें एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन देते हैं।

Like and Follow us on :

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com