कोरोना वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग के लिए जरूरी कच्चे माल के निर्यात से अमरीका ने रोक हटा ली है। इसके अलावा अपने पड़ोसी और साझीदार देशों की उस लिस्ट में भारत को भी अहम स्थान दिया है, जिन्हें वह कोरोना वैक्सीन की सप्लाई करने वाला है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ग्लोबल एलोकेशन प्लान लांच किया है। इस अभियान के तहत अमरीका की ओर से दुनिया कई देशों को कोरोना टीकों की 25 मिलियन डोज की सप्लाई की जानी है।
इसका बड़ा हिस्सा भारत को भी मिलने वाला है। अमरीका के रुख में यह बदलाव इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि बीते कुछ महीनों से उसने वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग के लिए जरूरी कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा रखी थी। अमरीका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने मीडिया से बात करते हुए यह जानकारी दी। अमरीका ने इससे पहले डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट लागू कर दिया था, जिसके चलते किसी भी अहम चीज की सप्लाई में अमरीका को प्राथमिकता देना जरूरी था।
भारत में फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी मिलने से पहले मेडिकल जर्नल लेसेंट में छपी एक रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। इसमें कहा गया है कि फाइजर-बायोएनटेक टीके की दोनों डोज ले चुके लोगों में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ मूल वायरस की तुलना में पांच गुना कम एंटीबॉडी है। डेल्टा वेरिएंट कोरोना का वह स्वरूप है, जो सबसे पहले भारत में पकड़ में आया था और इसे दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
स्टडी में यह भी कहा गया है कि वायरस को पहचानने और इसके खिलाफ लड़ने वाला एंटीबॉडी अधिक उम्र के लोगों में कम पाई जा रही है। इसका स्तर समय के साथ कम होता है। इसका मतलब है कि संवेदनशील लोगों को अतिरिक्त बूस्टर डोज की आवश्यकता होगी।