कोरोना का कहर: इंसानो के स्पर्म में मिला कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों के उड़े होश

चीन के शोधकर्ताओं ने इंसाने के स्पर्म में कोरोना वायरस पाए जाने का दावा किया है। ऐसे में इस बात की आशंका है कि सेक्स करने से भी ये वायरस फैल सकता है।
कोरोना का कहर: इंसानो के स्पर्म में मिला कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों के उड़े होश

न्यूज़- चीन के वुहान में शुरू हुए कोरोना वायरस ने चार महीनों के भीतर चार मिलियन लोगों को पकड़ा है। दुनिया में 2.70 लाख लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। यह वायरस कहां से और किस माध्यम से फैला है, इसका कोई पक्का सबूत नहीं है। वैज्ञानिकों के लिए, यह वायरस बिल्कुल नया है, जिसके कारण सभी देशों में अनुसंधान चल रहा है और हर दिन नए दावे किए जा रहे हैं। अब चीनी शोधकर्ताओं ने मानव स्पर्म में कोरोना वायरस पाए जाने का दावा किया है। ऐसी स्थिति में, संभावना है कि सेक्स करने से यह वायरस फैल सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक शांगचिउ म्यूनिसिपल अस्पताल की एक टीम ने जनवरी-फरवरी में इलाज करवा चुके 38 रोगियों का टेस्ट किया। इस दौरान 6 लोगों में कोरोना वायरस मिला। इसमें चार बहुत बीमार थे, जबकि दो ठीक हो रहे थे। ये रिसर्च अब जामा नेटवर्क ओवन में प्रकाशित हुई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अभी ये नहीं पता चल पाया कि वायरस वीर्य में कितने दिनों तक रहता है। स्पर्म में कोरोना मिलने से आशंका है कि ये सेक्स करने से फैल सकता है, हालांकि इसके पक्के सबूत वैज्ञानिकों के पास नहीं हैं। वहीं बहुत ही कम संख्या के मरीजों के स्पर्म में ये वायरस मिला है। हो सकता है कि भविष्य में कोरोना सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज में आ जाए। इस पर रिसर्च जारी है।

ब्रिटेन के शेफील्ड यूनिवर्सिटी में एंड्रोलॉजी के प्रोफेसर एलेन पैसी के मुताबिक अभी कोरोना पर बहुत सारी रिसर्च होना बाकी है। स्टडी में स्पर्म में कोरोना होने के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं। इसके साथ ये भी नहीं पता कि ये कितनी देर स्पर्म के अंदर सक्रिय रहेगा। इससे पहले इबोला और जीका वायरस भी इंसानों के स्पर्म में मिले थे, ऐसे में कोरोना का मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। जो स्टडी प्रकाशित हुई है वो बहुत ही छोटी स्टडी है। अगर इसके बेहतर परिणाम चाहिए तो बड़ी संख्या में लोगों पर टेस्ट करने होंगे।

इसस पहले ही रिसर्च में दावा किया गया था कि ACE2 और TNPRSS2 दो प्रोटीन हैं, जिनका कोरोना वायरस एक व्यक्ति के शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए उपयोग करता है। इन प्रोटीनों के उच्च घनत्व वाले बाहरी शरीर के अंग विशेष रूप से कोरोन वायरस के लिए कमजोर होते हैं और इस तरह कोरोना के लिए प्रवेश द्वार बन सकते हैं। इम्पीरियल कॉलेज लंदन, वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ग्रोनिंगन, यूनिवर्सिटी कोटे डी'ज़ूर और सीएनआरएस द्वारा पहले प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया था कि नाक और आंखों में कोरोन वायरस के प्रवेश बिंदु होने की संभावना है।

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