पिछले कुछ माह में महंगाई का सबसे अधिक असर रसोई पर पड़ा है।
सब्जियों और दालों के साथ खाद्य तेल की धार भी महंगी हो रही है।
एक महीने में खाद्य तेल 20 से 25 रुपये किलो तक महंगा हो चुका है।
वही बीते 11 महीनों में 72% महंगा हुआ सोयाबीन तेल थोक कारोबारी विवेक साहू
ने बताया कि 5 अप्रैल के बाद से ही तेलों के भावों में तेजी आ रही है। एक सप्ताह से भाव उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं।
सोयाबीन का भाव प्रति क्विंटल 7 हजार रुपए के पार निकल गया है,
कोरोना काल में तेल और तिलहनों की खपत बढ़ने से इसके दाम में भी जोरदार इजाफा हुआ है।
सालभर से भी कम में सोयाबीन तेल की कीमत 72% बढ़ी है।
देश में सोयाबीन का भाव प्रति क्विंटल 7 हजार रुपए के पार निकल गया है, जो पिछले साल 4,500 रुपए के करीब था।
वहीं, अगर सरसों की बात करें तो ये प्रति क्विंटल 6 हजार के पार निकल गई है। जो पिछले साल 4 हजार के करीब था।
आम तौर पर खाने में सरसों और सोयाबीन का तेल ही इस्तेमाल में लिया जाता है। ऐसे में इनके महंगे होने से आम आदमी की खाने की थाली महंगी हो गई है। इसके अलावा मसाले और चना दाल महंगे होने से भी आम आदमी के रसोई का बजट बिगाड़ा है। हालांकि, इससे किसानों को अपनी फसल का अच्छा दाम मिल रहा है।
अजय केडिया कहते हैं कि कई शहरों में लॉकडॉन आगे बढ़ाया गया है ऐसे में लोगों को डर है कि कहीं ये लॉकडाडन लंबा चला तो उनके पास खाने पीने की चीजों की कमी हो सकती है। इस कारण लोग खाने पीने की चाजों को स्टोर कर रहे है ताकि लॉकडॉउन के लम्बे चलने पर भी उनके पास खाने की कमी न रहे। लोगों के ऐसा करने के कारण भी बाजार में खाने-पीने के सामान की मांग बढ़ गई है इससे भी महंगाई बढ़ी है।