न्यूज़- राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते मामलों के बीच गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी निजी अस्पतालों को आदेश दिया है कि वह कोविड-19 का टेस्ट कर सकेंगे। कोर्ट ने कहा दिल्ली 'देश की कोरोना राजधानी बनने की ओर तेजी से अग्रसर है', इसलिए निजी अस्पताल लक्षण वालों के साथ-साथ बिना लक्षण वालों का भी कोविड-19 टेस्ट कर सकेंगे। जस्टिस हिमा कोहली और सुब्हमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि इस समय यह जरूरी है कि लैब की सुविधा वाले सभी निजी अस्पताल कोरोना वायरस का टेस्ट करें।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के वो अस्पताल, जिनमें आईसीएमआर की ओर से कोरोना वायरस का टेस्ट करने के लिए स्वीकृत लैब हैं, वो मरीजों को भर्ती करने से पहले उनका टेस्ट करेंगे। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि नॉन कोविड-19 मरीज जो निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सर्जरी और अन्य किसी बीमारी के इलाज के लिए जा रहे हैं उन्हें बिना कोरोना वायरस टेस्ट के भर्ती नहीं किया जा रहा है। इस टेस्ट के लिए इन लोगों को दूसरी जगह जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
कोर्ट ने कहा, यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि नॉन-कोविड मरीजों को अन्य लैब्स के बाहर इलाज कराने के लिए इंतजार करना पड़ता है, जबकि जिस अस्पताल में वो भर्ती होने गए वहां पहले से ही सुसज्जित लैब हैं। कोर्ट ने कहा, 'ऐसी स्थिति को देखते हुए ये निर्देश दिया जाता है कि दिल्ली के सभी निजी अस्पतालों में जहां कोविड-19 मरीजों को भर्ती करने के लिए 20% बेड आरक्षित करने को कहा गया है और वहां लैब भी हैं, तो कोविड-19 का टेस्ट किया जा सकेगा। इन लैब्स का टेस्ट के लिए आईसीएमआर से स्वीकृत होना जरूरी है। उन सभी का टेस्ट किया जाए जो अस्पताल में सर्जरी या अन्य किसी बीमारी के चलते भर्ती होने आए हैं, बेशक मरीजों में लक्षण हों या ना हों।'
ये आदेश वकील संजीव शर्मा और राकेश मल्होत्रा की याचिका पर दिया गया है। जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसे कई मामले हैं, जब नॉन कोविड-19 मरीजों को सर्जरी और अन्य तरह का इलाज देने से पहले कोरोना टेस्ट कराने को कहा गया। ये अस्पताल खुद कोरोना की जांच नहीं कर सकते क्योंकि सरकार की मंजूरी नहीं है। याचिका में ये भी मांग की गई कि कोर्ट दिल्ली सरकार के साथ-साथ कोविड-19 का इलाज करने वाले सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को कहे कि वो अपनी वेबसाइट पर मरीजों के लिए बेड ही संख्या से जुड़ी जानकारी अपडेट करते रहें। ताकि जरूरत के समय मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ना भागना पड़े।
दिल्ली सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट फाइल कर कहा कि पब्लिक सेक्टर में फिलहाल 17 लैब हैं, इनकी कोविड-19 टेस्ट के लिए रोजाना 2900 सैंपल जांच करने की क्षमता है। निजी अस्पतालों में 23 लैब हैं और इनकी क्षमता रोजाना 5700 सैंपल जांच करने की है। हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दिल्ली सरकार की स्टेटस रिपोर्ट गलत है क्योंकि अभी तक दिल्ली सरकार ने 6 लैब को कोविड-19 टेस्ट की मंजूरी नहीं दी है। वहीं दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि ये जानकारी सही है। इसके बाद कोर्ट ने सभी 23 निजी लैब को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही आईसीएमआर को भी लैब के बारे में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा गया है। अब मामले में अगली सुनवाई 18 जून को होगी।
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