डेस्क न्यूज़- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सरकार के बीच एक ऐसी घटना हुई,
जिसने सरकार में बैठे लोगों को भी हैरान कर दिया, पिछले महीने के अंत में, फेसबुक और इंस्टाग्राम
ने प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा एक पोस्ट को हटा दिया, इस पोस्ट में कोविड वैक्सीन से हो रही मौत को लेकर
सोशल मीडिया में चल रहे एक दावे को झूठा बताया गया ।
सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर पर भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के अकाउंट के ब्लू टिक को हटा दिया था,
हालांकि अकाउंट को फिर से सत्यापित किया है, सरकार की नाराजगी के बाद ट्विटर ने यह कदम उठाया है,
सरकार की ओर से साफ तौर पर कहा गया था कि उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है,
संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति किसी पार्टी का हिस्सा नहीं होते हैं,
इसलिए सरकार ट्विटर के इस कृत्य को संवैधानिक अनादर की दृष्टि से देखती है।
इसके बाद ट्विटर ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के ट्विटर अकाउंट को स्वीकार और फिर से सत्यापित किया,
अब से कुछ समय पहले, ट्विटर ने उपराष्ट्रपति के खाते को असत्यापित किया था,
सरकार के कड़े रुख के बाद ट्विटर ने अपना फैसला वापस ले लिया।
उपराष्ट्रपति के निजी ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक हटाने पर एक ट्विटर प्रवक्ता ने कहा,
जुलाई 2020 से खाता निष्क्रिय है, हमारी सत्यापन नीति के अनुसार, खाता निष्क्रिय होने पर ट्विटर ब्लू टिक
और सत्यापित स्थिति को हटा सकता है, वहीं बीजेपी नेता सुरेश नखुआ ने सवाल उठाया था,
ट्विटर ने उपराष्ट्रपति के अकाउंट से ब्लू टिक क्यों हटाया? यह भारत के संविधान पर हमला है,
आपको बता दें, आरएसएस के चीफ मोहन भार्गव और कुशन कुमार, अरुण कुमार के साथ भैयाजी जोशी,
सुरेश सोनी के ट्विटर अकाउंट भी असत्यापित हो चुके हैं, इन पर भी आपत्ति जताई गई।