गर्मी का कहर,पारा 47,राजस्थान में बरस रहे है आग के गोले

कोरोना की मार सह रही दिल्ली अब गर्मी से उबल रही है, भीषण गर्मी से लोग बेहाल है, यहां चल रही 'लू' ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है,
गर्मी का कहर,पारा 47,राजस्थान में बरस रहे है आग के गोले

न्यूज़- कोरोना की मार सह रही दिल्ली अब गर्मी से उबल रही है, भीषण गर्मी से लोग बेहाल है, यहां चल रही 'लू' ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, लगातार दूसरे दिन भी राजधानी में गर्मी अपने चरम स्तर पर रही , बुधवार को भी दिल्ली का तापमान 47 डिग्री दर्ज किया गया, मालूम हो कि कल दिल्ली के पालम का तापमान 47.2 डिग्री सेल्सियस, सफदरजंग का तापमान 45.9 डिग्री सेल्सियस, लोधी रोड का तापमान 45.1 और आयानगर का तापमान 46.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

भारतीय मौसम विभाग ने पहले ही यहां लू को लेकर Red Alert जारी किया है, लोगों को दिन के 1 बजे से शाम 5 बजे तक घर से बाहर ना निकलने के लिए कहा गया है, तो वहीं मौसम विभाग के मुताबिक, दो दिन बाद ही बड़ा बदलाव आ सकता है जब हल्‍की बारिश के आसार बन रहे हैं।

यही हाल राजस्थान का भी है, यहां भी पारा 50 के पास पहुंच गया है, मंगलवार को चुरू देश का सबसे गर्म स्थान था तो वहीं बुधवार को भी यहां के तापमान में कोई फर्क नहीं आया है, बीकानेर में अधिकतम तापमान 48.0 डिग्री सेल्सियस, श्रीगंगानगर में 48.9 डिग्री, कोटा में 47.2 डिग्री, जैसलमेर में 46.1 डिग्री, बाड़मेर 45.9 डिग्री, जयपुर में 44.8 डिग्री, अजमेर में 44.0 डिग्री व जोधपुर में 42.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया तो वहीं स्काईमेट के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान गर्म शहरों की टॉप टेन सूची में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगना के शहर भी शामिल हैं। राजस्थान के कुछ जगहों पर डस्ट स्टॉर्म की भी आशंका है।

Southwest Monsoon को केरल तट पर पहुंचने में 5 जून तक का समय लग सकता है, आमतौर पर यहां मानसून की पहली बारिश 1 जून को हो जाती है, राजधानी दिल्ली में मानसून की सामान्य शुरुआत 23 जून से 27 जून के बीच में होगी तो वहीं दूसरी ओर मुंबई और कोलकाता में मानसून क्रमश: 10 और 11 जून के बीच पहुंचेगा और चेन्नई में 1 से 4 जून तक इसके पहुंचने की संभावना है, जबकि महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में, मानसून मौजूदा सामान्य तारीखों की तुलना में 3-7 दिनों की देरी से आएगा।

मानसून मूलतः हिंद महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है।

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