सोशल मीडिया पर वायरल सन्देश को लेकर रतन टाटा, ये मैंने नहीं कहा है

जिसकी सफाई देने के लिए खुद रतन टाटा आगे आए हैं। इस ट्वीट में दावा किया गया था कि रतन टाटा ने संदेश दिया है कि 2020 जीवित रहने का साल है, लाभ हानि की चिंता ना करें।
सोशल मीडिया पर वायरल सन्देश को लेकर रतन टाटा, ये मैंने नहीं कहा है
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न्यूज़- फर्जी खबरों की पहचान करना सोशल मीडिया के इस युग में एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। सोशल मीडिया साइट्स पर लोग अफवाह फैलाने वाली खबरें शेयर करते हैं, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। फर्जी खबरों को उजागर करने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। इसके लिए एक अलग सोशल मीडिया अभियान शुरू किया गया है। तमाम बड़ी हस्तियां भी फर्जी खबरों को रोकने की कोशिश कर रही हैं। उद्योगपति रतन टाटा ने भी ऐसी फर्जी खबरों की सच्चाई लोगों को बताई है।

दरअसल रतन टाटा के नाम पर एक एक ट्वीट को पेपर कटिंग के तौर पर साझा किया जा रहा है। जिसकी सफाई देने के लिए खुद रतन टाटा आगे आए हैं। इस ट्वीट में दावा किया गया था कि रतन टाटा ने संदेश दिया है कि 2020 जीवित रहने का साल है, लाभ हानि की चिंता ना करें। इस कटिंग पर रतन टाटा ने सफाई देते हुए कहा कि मैं इससे भी चिंतित हूं, मैंने ये नहीं कहा है। जब भी फेक खबरें सामने आएंगी, मैं कोशिश करूंगा कि उसका सच सामने ला सकूं। लेकिन मैं आप लोगों से कहना चाहूंगा कि आप खबरों के तथ्यों की पुष्टि करें। किसी भी संदेश के साथ मेरी तस्वीर इस बात की गारंटी नहीं है कि मैंने वो बात कही है, यह समस्या कई लोग झेल रहे हैं।

बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब रतन टाटा के नाम पर गलत संदेश लोगों के नाम पर साझा किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता में रतन टाटा ने यह कहा नहीं। इससे पहले भी एक ट्वीट के जरिए रतन टाटा ने इसी तरह के संदेश पर सफाई दी थी और कहा था कि ये मैंने नहीं कहा है। उस वक्त रतन टाटा ने अपील की थी कि मैं आपसे कहना चाहता हूं कि व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस तरह के संदेश की पुष्टि कर लें। मैं कुछ भी कहूंगा उसे अपने आधिकारिक चैनल पर कहूंगा, उम्मीद है कि आप सुरक्षित हैं और अपना खयाल रख रहे हैं।

रतन टाटा के हवाले से वायरल इस फेक न्यूज में लिखा गया है- आर्थिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यस्था तहस-नहस हो जाएगी। मैं इन विशेषज्ञों की बात को नकार नहीं रहा हूं। मैं अपनी ओर से सिर्फ यह कहना चाहूंगा कि इन विशेषज्ञों को मानवीय प्रेरणा और जुनून सेकिए गए प्रयासों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इंसान ने कई बार नामुमकिन को मुमकिन किया है। अगर विशेषज्ञों पर विश्वास करते तो दूसरे विश्व युद्ध में पूरी तरह बर्बाद हो चुके जापान का कोई भविष्य नहीं होता। हम सबने देखा कि कैसे सिर्फ तीन दशक में जापान ने अमेरिका को भी पानी पिला दिया था। वहीं इजरायल का उदाहरण हमारे सामने है। इस सबसे हमें सीखना चाहिए।

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