लॉकडाउन में पूरी सैलरी देने के मामले में,SC ने 4 हफ्ते में माँगा केंद्र से जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को जारी पूरी सैलरी देने के सर्कुलर की कानूनी वैद्यता पर केंद्र सरकार से 4 हफ्ते के अंदर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा है।
लॉकडाउन में पूरी सैलरी देने के मामले में,SC ने 4 हफ्ते में माँगा केंद्र से जवाब

न्यूज़- सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को जारी पूरी सैलरी देने के सर्कुलर की कानूनी वैद्यता पर केंद्र सरकार से 4 हफ्ते के अंदर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा है। उस निर्देश में सरकार ने कंपनियों से लॉकडाउन की अवधि में कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के लिए कहा था। दरअसल, केंद्र सरकार ने निर्देश दिया था कि कंपनियों को 54 दिन की सैलरी देनी होगी। लेकिन इसके खिलाफ कई कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सर्वोच्च अदालत अब इस मामले में जुलाई के आखिरी हफ्ते में सुनवाई करेगी और तबतक किसी कंपनी या उद्योग के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि लॉकडाउन की अवधि में कंपनियों को मजदूरों को पूरा वेतन देने के लिए बाध्य किया जा सकता है या नहीं।

केंद्र सरकार के उसके सर्कुलर में जवाब दाखिल करने के साथ ही सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों से कहा है कि वह वेतन के मामले में कंपनियों और कर्माचारियों के बीच कोई सुलह का रास्ता निकाले और इस संबंध में श्रम आयुक्तों के पास रिपोर्ट दाखिल करे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'उद्योग और मजदूरों को एक-दूसरे की आवश्यकता है और वेतन को लेकर जो भी विवाद हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।'

जाहिर है कि कंपनियों की दलील है कि लॉकडाउन की वजह से उन्हें काफी नुकसान हुआ है और ऐसी स्थिति में वह पूरा वेतन देने में असमर्थ हैं। केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से 29 मार्च को जारी सर्कुलर की कानूनी वैद्यता को चुनौती देते हुए एक एक कपड़ा कंपनी ने दलील दी थी कि लॉकडाउन शुरू होने के साथ 25 मार्च से ही काम ठप है। उसने दावा किया था कि याचिका करने वाले दिन यानि 25 अप्रैल तक उसे डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका था। जबकि, 29 मार्च और 31 मार्च के केंद्र के आदेशों के अनुपालन का मतलब है कि याचिकाकर्ता को अपने सभी पेरोल वाले कर्मचारियों को पूरा वेतन देना होगा जो कि करीब पौने दो करोड़ रुपये बनता है। ऐसे में वह इस आदेश की तामील कैसा कर सकता है।

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