डेस्क न्यूज़- कोरोना वायरस अभी हमारे साथ ही रहेगा। हालांकि, बाद में यह मौसमी बीमारी बन जाएगी। इससे भारत में आने वाली तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक साबित होगी, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। ऐसा सिर्फ इसलिए कहा जा रहा था क्योंकि उस समय तक ज्यादातर वयस्कों का टीकाकरण हो चुका होगा। यह कहना है दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि एम्स की स्टडी के मुताबिक 50 से 60 फीसदी बच्चों को कोविड हुआ है, जिसका पता भी नहीं चला. एम्स और पीजीआई चंडीगढ़ के अध्ययन पर नजर डालें तो तीसरी लहर में भी बच्चों को हल्का संक्रमण होगा, लेकिन मृत्यु दर बढ़ने की संभावना बहुत कम है।
डॉ. गुलेरिया शुक्रवार को पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में व्याख्यान दे रहे थे। इसकी थीम थी- कोविड-19 महामारी से हमने क्या सीखा और हम क्या कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में डॉ. गुलेरिया ने कई सवालों के जवाब भी दिए। उन्होने कहा कि अभी तक कोई वैक्सीन नहीं आई है जो हमें संक्रमण से बचाती है, लेकिन यह बीमारियों को गंभीर होने से बचाती है, इसलिए वैक्सीन जरूरी है। टीकाकरण के बाद भी संक्रमण का खतरा रहता है और टीका लगवाने वाला व्यक्ति दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए मास्क पहनना भी जरूरी है। बेशक, हमारे देश में घनी आबादी और कई कमियों के कारण, उचित दूरी पूरी तरह से संभव नहीं है, लेकिन मास्क पहनकर और हाथों को साफ रखकर हम संक्रमण को नियंत्रित कर सकते हैं।
कोरोना वायरस अभी कहीं नहीं जा रहा है, यह हमारे जीवन का हिस्सा है। जब हर्ड इम्युनिटी आएगी तो केस इतने नहीं बढ़ेंगे। यह मौसमी बीमारी बनेगी, तभी हमें मुखौटों से मुक्ति मिलेगी। यह कब होगा, इस पर अभी टिप्पणी नहीं की जा सकती। साथ ही कहा कि बैक्टीरिया ही नहीं सेकेंडरी फंगल इंफेक्शन भी चिंता का विषय है। म्यूकोर्मिकोसिस के बढ़ते मामले इस बात के संकेत हैं। दोनों प्रकार के संक्रमण चिंता का विषय हैं और इसके लिए भी व्यक्तिगत और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर प्रबंधन की आवश्यकता है। हल्के संक्रमण और होम आइसोलेशन के दौरान लोगों ने बिना डॉक्टर की सलाह के, बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के स्टेरॉयड ले लिया है, जो नहीं होना चाहिए। डॉक्टरों, प्रशासन और लोगों को सावधान रहना होगा।
डॉ. गुलेरिया ने बताया कि अल्फा वेरिएंट पहले के कोरोना से दोगुना संक्रामक था और डेल्टा प्लस इससे 50% ज्यादा। लेकिन डेल्टा प्लस पर टिप्पणी करने के लिए फिलहाल ज्यादा डेटा उपलब्ध नहीं है। यह कितना खतरनाक होगा, यह भी नहीं पता, इसलिए फिलहाल इसे 'चिंता का वेरिएंट' कहना ठीक नहीं है।
एक प्रयास व्यक्तिगत स्तर पर है कि आप इतने बड़े कार्य न करें, भीड़ न लगाएं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। टीका लगवाना सुनिश्चित करें। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। दूसरा प्रयास प्रशासनिक स्तर पर है। सख्त निगरानी जरूरी है। जिस क्षेत्र में 5 फीसदी से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं, वहां सख्ती की जाए। मिनी और केवल क्षेत्रवार लॉकडाउन और प्रबंधन आवश्यक है। भीड़ नहीं होगी तो आपस में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा।