डेस्क न्यूज़- कोरोना का खतरा बढ़ गया है। RT-PCR परीक्षण को कोरोना वायरस स्क्रीनिंग में एक गोल्ड स्टेंडर्ड टेस्ट माना जाता है। इसके परिणाम तेजी से एंटीजन की तुलना में काफी बेहतर हैं। इसके बाद भी यह कुछ वेरिएंट के सामने फेल रहा है। पानीपत में 10 से अधिक सीटी स्कैन केंद्रों 25 से अधिक ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें आरटी-पीसीआर परीक्षण निगेटिव थे और बाद में स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ और डॉक्टर की सलाह से सीटी स्कैन कराने पर संक्रमण 90 प्रतिशत तक फैल गया था। आरटीपीसीआर टेस्ट ।
ऐसे मरीज जल्द ही वेंटिलेटर पर जा रहे हैं। देश भर से रिपोर्ट्स
आ रही हैं कि टेस्ट में वायरस के नए वेरिएंट का पता नहीं चल रहा
है। जब तक सीटी स्कैन किया गया, तब तक फेफड़ों को काफी
नुकसान पहुंचा था। इस बारे में, केंद्र सरकार ने खुद स्वीकार
किया है कि देश के 18 राज्यों में कोरोना के ये वेरिएंट पाए गए हैं।
केस -1: मॉडल टाउन की एक 36 वर्षीय महिला की रिपोर्ट दो बार नेगेटिव आई। सीटी स्कैन रिपोर्ट में फेफड़ों में 70% संक्रमण पाया गया, लेकिन RT-PCR रिपोर्ट नकारात्मक थी। मरीज की हालत खराब है, अब इलाज चल रहा है।
केस -2: 38 वर्षीय पुरुष को सांस लेने में तकलीफ थी। एक सीटी स्कैन ने दोनों फेफड़ों में 90% संक्रमण दिखाया। कोरोना रिपोर्ट नकारात्मक रही, लेकिन अब वेंटिलेटर पर है।
केस -3: 56 वर्षीय पुरुष में नेमेनिया के लक्षण थे। एक सीटी स्कैन से उनके दाहिने फेफड़े में 86% संक्रमण का पता चला। वह अब एक निजी अस्पताल में वेंटिलेटर पर है।
प्रेम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के अध्यक्ष डॉ. पंकज मुटनेजा ने बताया कि आरटीपीआर में आप सकारात्मक आ सकते हैं और आप आराम कर सकते हैं और फिर आगे का इलाज करवा सकते हैं। उसी समय, आप यह नहीं मान सकते कि नकारात्मक आने पर कोई कोरोना नहीं है। आजकल ज्यादातर मामलों में गलती होती है कि लोग RT-PCR टेस्ट में नेगेटिव मिलने के बाद लापरवाही बरतते हैं।
ऐसे रोगियों के लिए दूसरो के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। लोग कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने पर समय प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं और वायरस को दूसरों तक पहुंचा रहे हैं। सीटी स्कैन से पता चलता है कि फेफड़ों में कितना संक्रमण है। पहले 10 मे से केवल एक मरीज के स्कैन में क्षति दिखाई दे रही थी, अब 10 में से 5-6 रोगियों के फेफड़ों में संक्रमण है।