डेस्क न्यूज – पतंजलि ने इसे एक दवा बनाने और कोरोनिल से मरीज के ठीक होने का दावा किया है। हालांकि, आयुष मंत्रालय ने इस पर स्थगन लगा दिया है और पूरी जानकारी मांगी है। अब यह ज्ञात है कि पतंजलि की इस दवा का परीक्षण कोरोना वायरस से पीड़ित किसी भी गंभीर रोगी पर नहीं किया गया है, बल्कि उन लोगों पर ही किया है जिन्हें कोरोना वायरस के बहुत कम लक्षण दिखाई दिएहैं।
आयुष मंत्रालय में पतंजलि द्वारा दायर एक शोध पत्र के अनुसार, कोरोनिल का नैदानिक परीक्षण उन 120 रोगियों पर किया गया है, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण बहुत कम थे। इन रोगियों की आयु 15 से 80 वर्ष के बीच थी। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा मंत्रालय को बताया गया कि यह नैदानिक परीक्षण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, जयपुर में किया गया था। यह दावा किया गया था कि उन्होंने हर नियम का पालन किया, साथ ही आयुर्वेदिक विज्ञान केंद्रीय परिषद के महानिदेशक को लूप में रखा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पंतजलि के कोरोना का इलाज खोजने के दावे पर विराम लगा दिया है।
केंद्र ने कहा कि पतंजलि ने मीडिया में दावा किया है कि उसने कोरोनावायरस के इलाज के लिए एक दवा की खोज की है। हम इस दावे के तथ्य और वैज्ञानिक तथ्यों को नहीं जानते हैं। केंद्र ने कहा कि पतंजलि हमें इस दवा के बारे में सूचित करे और हमारी जांच पूरी होने तक इसका प्रचार और विज्ञापन न करे।
रामदेव का दावा है कि कोरोनिल के एक नैदानिक मामले के अध्ययन में 280 रोगी शामिल थे। तब 100 से अधिक रोगियों पर नैदानिक नियंत्रण परीक्षण किए गए थे। 3 दिनों के भीतर, 69% रोगी नकारात्मक हो गए और 7 दिनों के भीतर 100% रोगी ठीक हो गए। मृत्यु दर 0% है
रामदेव ने जो कोरोना किट लॉन्च की है, उसमें कोरोनिल के अलावा वाष्पशील और परमाणु तेल भी हैं। रामदेव का कहना है कि तीनों का एक साथ उपयोग करने से कोरोना संक्रमण को खत्म किया जा सकता है और महामारी को रोका जा सकता है। यह किट 545 रुपये में उपलब्ध होगी। इसमें 30 दिन की खुराक होगी।
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