प्राइवेट हॉस्पिटल कोरोना के इलाज के नाम पर लूट रहे है,बिलों ने किया हैरान,देखे

एक ओर कोरोना वायरस का कहर पूरे देश में जारी है, तो वहीं दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के नाम पर लूट मचा रखी है। जिसके लिए मरीजों को 16 लाख तक का बिल थमा दिया जा रहा है।
प्राइवेट हॉस्पिटल कोरोना के इलाज के नाम पर लूट रहे है,बिलों ने किया हैरान,देखे
Updated on

न्यूज़- एक ओर कोरोना वायरस का कहर पूरे देश में जारी है, तो वहीं दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के नाम पर लूट मचा रखी है। जिसके लिए मरीजों को 16 लाख तक का बिल थमा दिया जा रहा है। हेल्थ इंश्योरेंस वाले मरीज तो आराम से इलाज करवा ले रहे हैं, लेकिन बिना इंश्योरेंस वाले मरीजों के सामने प्राइवेट अस्पतालों ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। कोरोना की जांच से लेकर दवा तक सब इतने महंगे हैं कि आम आदमी परेशान हो जाए।

इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के टॉप अस्पतालों में भर्ती किए गए छह मरीजों के विस्तृत बिलों की जांच की। इसमें उन अस्पतालों की ओर से मरीजों को 2.6 लाख से लेकर 16.14 लाख रुपये तक का बिल थमाया गया था। इन अस्पतालों में मरीजों को ठीक होने में छह दिन से एक महीने तक का वक्त लगा है। इसके साथ ही इन सभी छह मामलों में एक को छोड़कर बाकी मरीज ठीक हो चुके हैं। छह में दो मरीज ऐसे थे जिनके पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं था, ऐसे में उनको इलाज का पूरा खर्च खुद से भरना पड़ा। वहीं दूसरी ओर जिनका इंश्योरेंस था उनकी इतनी ज्यादा लिमिट नहीं थी। इस वजह से उन्हें भी अपनी जेब से पैसे भरने पड़े। रोजाना डॉक्टरों की फीस की बात करें तो दिल्ली में ये 3800 से 7700 रुपये, जबकि मुंबई-कोलकता में 2000 से 3000 रुपये है।

रिपोर्ट के मुताबिक जो कोरोना पॉजिटिव मरीज नॉन आईसीयू वार्ड में हैं, उनके रोजाना इलाज की लागत 14 से 32 हजार रुपये तक आ रही है। ऐसे में अगर मरीज 10 दिन इलाज के लिए भर्ती रहेगा, तो उसे 3.2 लाख रुपये तक का भुगतान करना पड़ेगा। इसमें कमरे का किराया सबसे ज्यादा महंगा होता है। कोरोना के ऐसे पॉजिटिव मरीज जिनकी हालात सामान्य है, उनके कमरे का रोजाना किराया 3200 से शुरू होता है। जिसमें डीलक्स रूम तो 16 हजार तक के हैं। वहीं एक मरीज की देखभाल में रोजाना तीन से पांच पीपीई किट का प्रयोग होता है। एक किट की लागत 700 से 1100 तक होती है। ऐसे में पीपीई किट और रोजाना उपयोग होने वाली चीजों की लागत 4000 से 8000 रुपये तक आ जाती है। इसके अलावा मरीजों को कोरोना संबंधित जांच के लिए 9000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। नॉन आईसीयू वार्ड में भर्ती मरीज रोजाना चिकित्सा परामर्श के लिए 2100 से 3800 रुपये का भुगतान डॉक्टरों को करते हैं, जबकि दवा का खर्च 300 से 1000 आ सकता है।

एक सामान्य आईसीयू का रोजाना किराया 7-16 हजार रुपये तक होता है। अगर मरीज वेंटिलेटर पर है तो उसका खर्च और बढ़ जाएगा। आईसीयू में तो मरीज की कई जांच की जाती हैं, लेकिन ब्लड में ऑक्सीजन की जांच सबसे महंगी पड़ती है। इसके लिए 1000 से 5500 रुपये तक का भुगतान मरीज को करना पड़ सकता है। वहीं आईसीयू में रोजाना चिकित्सा परामर्श के लिए 2500 से 6000 रुपये तक की फीस है। यह राशि तीन स्पेशलाइजेशन आंतरिक चिकित्सा, क्रिटिकल केयर और चेस्ट मेडिसिन के डॉक्टरों के लिए अलग से ली जाती है। क्रिटिकल केयर के मरीजों के लिए खर्च और ज्यादा है। इसके लिए उन्हें 2 हजार से 5 हजार का भुगतान अलग से करना पड़ सकता है। वहीं वेंटिलेटर की निगरानी के लिए डॉक्टर की फीस 1500 रुपये प्रतिदिन होती है। वहीं रोजाना उपयोग की सामग्री और जांच की लागत भी आईसीयू में सामान्य वार्ड की तुलना में दोगुनी है। जहां 7000 से 20 हजार तक रोजाना खर्च हो सकता है।

logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com