अस्पताल में जानवरों से भी बदतर कोरोना के मरीजों का इलाज- सुप्रीम कोर्ट

कोरोना के संक्रमित महिला का शव कई दिनों तक शौचालय में पड़ा रहा
अस्पताल में जानवरों से भी बदतर कोरोना के मरीजों का इलाज- सुप्रीम कोर्ट
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डेस्क न्यूज़- कोरोना वायरस से देश में लाखों लोग संक्रमित हुए हैं, जबकि हजारों लोग मारे गए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से कोरोना संक्रमित लोगों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है, उस पर कड़ी आपत्ति जताई है, देश के अस्पतालों में जिस तरह से कोरोना के मरीजों का इलाज किया जा रहा है, उसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि मरीजों का जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल में मरीजों के ख़राब इलाज का संज्ञान लिया है और अस्पतालों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।

बता दें कि महाराष्ट्र के जलगांव के सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित एक बुजुर्ग महिला की अस्पताल में मौत हो गई, चौंकाने वाली बात यह है कि महिला का शव कई दिनों तक शौचालय में पड़ा रहा, लेकिन कोई भी उसे समझ नहीं पाया, इस संबंध में एक मरीज की शिकायत के बाद महिला का शव बाहर निकाला गया कि शौचालय के अंदर का दरवाजा बंद था और उसमें से बहुत बदबू आ रही थी, यही नहीं युवक अपनी मां को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवाने के लिए बेड का इंतजार करता रहा, लेकिन उसे बेड नहीं मिले, जिसकी वजह से महिला की मौत हो गई।

यही नहीं, दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के कोरोना वार्ड में कई लोगों के मरने की सूचना मिली थी, जिसके बाद अस्पताल के अंदर कोरोना रोगियों के इलाज की वास्तविकता सामने आई थी, इन सभी घटनाओं का संज्ञान लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि अस्पताल में पशुओं की तुलना में कोरोना के मरीजों के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है, बता दें कि देश में कोरोना वायरस के कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 297535 हो गई है, इनमें से पिछले 24 घंटों के भीतर 10,956 मरीज सामने आए हैं, अब तक देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस के 1,47,195 रोगी ठीक हो चुके हैं और वर्तमान में सक्रिय मामले 1,41,842 हैं।

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