कोरोना वायरस के असर को कम करने के लिए वैक्सीन के अलावा खाने वाली दो दवाएं जल्द ही मरीजों के लिए उपलब्ध होंगी। ये दोनों दवाएं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के सहयोग से अलग-अलग संस्थान और दवा बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर बनाई जा रही रही हैं।
इन दोनों दवाओं के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल भी पूरे हो चुके हैं। केंद्र सरकार को अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में कोविड के रोगियों को यह दवाएं उपलब्ध करवा दी जाएंगी।
कोरोना के मरीजों के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने ओरल मेडिसिन उमीफेनोविर विकसित की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और सीएसआईआर के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल भी पूरा हो चुका है। हालांकि वैज्ञानिकों का दावा है ट्रायल की कुछ औपचारिकताएं अभी बाकी है।
EMA ने कहा कि 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों के लिए स्पाइकवैक्स वैक्सीन का इस्तेमाल 18 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों की तरह ही किया जाएगा। वैक्सीन के दो डोज दिए जाएंगे। इनके बीच 4 हफ्ते का ही अंतर रखा जाएगा।
EMA के मुताबिक, 12-17 साल के 3,732 बच्चों पर स्पाइकवैक्स का ट्रायल किया गया था। इसके रिजल्ट सकारात्मक मिले। इस दौरान पाया गया कि सभी के शरीर में अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी बनीं। उतनी ही एंटीबॉडी 18 से 25 साल के लोगों में भी देखी गई थीं।
वहीं, फाइजर ने अपनी वैक्सीन का ट्रायल 12 साल के कम उम्र के बच्चों पर भी शुरू कर दिया है। पहले चरण की स्टडी में कम संख्या में छोटे बच्चों को वैक्सीन की अलग-अलग डोज दी जाएंगी। इसके लिए फाइजर ने दुनिया के चार देशों में 4,500 से अधिक बच्चों को चुना है।
इसी साल मई में एस्ट्राजेनेका ने 6 से 17 साल तक के बच्चों पर ब्रिटेन में स्टडी शुरू की थी। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) ने भी स्टडी शुरू कर दी है। चीन की सिनोवैक ने 3 साल तक के बच्चों पर भी अपनी वैक्सीन को असरदार बताया है।