न्यूज़- चीन में कोरोना वायरस की वजह से बेरोजगारी की दर में इजाफा हो रहा है। अब चीन में सरकार भी अमेरिका और भारत जैसी सरकारों की तरह इंडस्ट्री को पैकेज देने पर विचार कर रही है। महामारी की वजह से चीन में लाखों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार के सामने नई चुनौती पैदा हो गई है। चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी की सालाना मीटिंग शुक्रवार से शुरू हो रही है और इस मीटिंग में देश में रोजगार के अवसर पैदा करने को लेकर गंभीर चर्चा की गई है।
22 मई से चीन में राष्ट्रीय संसदीय सत्र की शुरुआत हो रही है। अब कंपनियों की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि जब शुक्रवार से पार्टी का अधिवेशन शुरू होगा तो जिनपिंग सरकार की तरफ से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए क्या-क्या ऐलान किए जाएंगे। दिसंबर में चीन के वुहान से निकले वायरस ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बंद कर दिया था। मार्च में लॉकडाउन खुला है और फिर से आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने की कोशिशें हो रही हैं। अमेरिका, जापान और यूरोप में कर्ज नीति का ऐलान के ही साथ खर्च बढ़ाने की बात कही गई है। वहीं चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का फोकस बंद पड़ी फैक्ट्रियों को फिर से शुरू करने पर है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में 3,000 से ज्यादा प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है। पहले यह सम्मेलन मार्च में होना था लेकिन महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया था।
राष्ट्रपति जिनपिंग इस बात की कोशिशें कर रहे हैं कि किसी तरह से देश में खर्च को बढ़ावा दिया जाए ताकि रोजगार की दर में इजाफ हो। चीन में कंज्यूमर स्पेंडिंग यानी उपभोक्ता खर्च अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। सिटी ग्रुप के इकोनॉमिस्ट ली गैंग ल्यू ने कहा है कि बेरोजगारी का दबाव बहुत ज्यादा है और ऐसे में उपयुक्त मात्रा में प्रोत्साहन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर फिर से बढ़ेगा। जनवरी में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील हुई थी। लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अगर चीन ने अमेरिका के कृषि उत्पादो और दूसरे निर्यातों को नहीं खरीदा तो फिर इस डील को खत्म किया जा सकता है।