न्यूज़- चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने मार्च के पहले हफ्ते तक दुनिया के बड़े देशों को अपनी चपेट में ले लिया था। इस दौरान ज्यादातर देशों ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू कर अपनी सीमाओं को सील कर दिया। जिसके बाद दूसरे देशों में फंसे अपने लोगों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने वंदे भारत मिशन शुरू किया। जिसके तहत 58 हजार से ज्यादा लोगों को एयरलिफ्ट कर वापस लाया गया। इसमें से 227 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
दरअसल मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने DGCA और एयर इंडिया से वापस आए लोगों का डाटा मांगा था। जिस पर DGCA ने बताया कि सरकार के निर्देश के बाद एयर इंडिया 58,867 भारतीयों को वापस लेकर आई है। इस दौरान 227 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। केंद्र सरकार की ओर ये भी साफ किया गया कि वापस आए सभी लोगों को इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में रखा गया था। इसी दौरान जांच में यात्री पॉजिटिव पाए गए। इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में होने के चलते वायरस नहीं फैला है। सरकार से मिले डाटा को देखने के बाद हाईकोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति से स्पष्टीकरण मांगा है, जिसके तहत ये पूछा गया है कि क्या सिर्फ छूने मात्र से कोरोना दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। इसके अलावा फ्लाइट में कोरोना संक्रमण फैलने के अन्य जरियों की भी जानकारी मांगी गई है।
आपको बता दें कि एयर इंडिया के एक पायलट ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि वंदे भारत मिशन की विशेष उड़ानों के दौरान सुरक्षा मापदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है। जिस पर जस्टिस एस. जे. कथावाला और जस्टिस एस. पी. तावडे की पीठ ने सुनवाई की थी। याचिककर्ता के वकील अभिलाष पनिकर के मुताबिक केंद्र सरकार ने दिल्ली, महाराष्ट्र और तेलंगाना में लैंड हुए यात्रियों का डाटा नहीं दिया है। वहीं DGCA की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार की ओर से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के हर संभव प्रयास किए गए थे।