न्यूज़- यमुनानगर। 53 दिनों से जारी लॉकडाउन में काम-धंधे बंद हो गए है, जिसके चलते प्रवासी मजदूरों के सामने विषम हालात हैं। ऐसे में उनके पास घर लौटने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा, लेकिन जाएं तो जाएं कैसे। न रेल चल रही, ना बस और ना ही उनके पास पैसे बचे है। जिस वजह से मजदूरों के धैर्य जवाब देने लगा है। इस वजह वह पैदल ही तो कुछ वाहन के जरिए ही अपने गांवों की ओर चल पड़े है।
रविवार को पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल की तरफ से आ रहे प्रवासी मजदूरों को यमुनानगर में रोका गया तो उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया। हाईवे से सटे करेहड़ा खुर्द गांव के सरकारी स्कूल में पहले से ठहरे कुछ और प्रवासी श्रमिक भी नेशनल हाईवे 344 पर आ गए। जिसके बाद इन प्रवासियों ने हाईवे पर जाम लगा दिया। प्रवासियों को पुलिस ने समझाने की कोशिश भी की लेकिन वे नहीं माने और पुलिसकर्मियों के साथ बदतमीजी करने लगे। कुछ ने वहां पर पथराव कर दिया। समझाने के बावजूद नाकाम हुए पुलिस वालों ने हारकर श्रमिकों पर बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ा।
उसके बाद प्रवासी अपनी साइकिल और अन्य सामान छोड़कर खेतों से भागते हुए नजर आए और उनका सारा सामान खेतों में ही बिखर गया। दरअसल बाहरी राज्यों से आ रहे प्रवासियों को यमुनानगर में रोककर एक सरकारी स्कूल में इकट्ठा किया जा रहा है। प्रशासन व ग्रामीण सरपंच की ओर से उनको इसलिए रोका जा रहा था कि उनको जल्द ही उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन इनको यहां रुके पांच दिन हो गए और इनका सब्र का बांध टूट पड़ा।
प्रवासियों का कहना था कि वे अपने घर जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सरकार नहीं जाने दे रही। यूपी बॉर्डर से आगे उन्हें जाने नहीं दिया जाता। मजबूरी में वे यहां पर रुके हुए हैं। इससे पहले जोड़ियों में भी प्रवासियों ने रोड जाम और पथराव किया था। उनकी भी ये ही मांग थी कि उन्हें उनके घर भेजा जाए। उधर सदर यमुनानगर थाना प्रभारी सुखबीर सिंह का कहना है कि पथराव जैसी बात नहीं हुई। कुछ प्रवासी परेशान होने की वजह से सड़क पर आ गए थे। उन्हें समझा दिया गया था। प्रवासियों को गांव के स्कूल में रोका गया है।
प्रवासी श्रमिकों को पुलिस द्वारा लाठी चार्ज का वीडियो युग कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है। वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, 'बेबस मजदूरों को लाठी-डंडों से पीटती हरियाणा पुलिस। आखिर सत्ताधीश इतने निष्ठुर कैसे हो सकते हैं? दिल्ली की ईमारतों की खिड़कियों से यह पुलिसिया उत्पात दिख सकता है पर दिल्ली की कुर्सियों पर बैठे लोग इसे रोकते क्यों नही ? #मैं_हूँ_मजदूर।'