
कुलदीप चौधरी-
नारियल, धूप, अगरबत्ती का भोग लेने वाली जगत जननी कब अपने ही औलाद की बलि मांगने लगी है ? एक माँ किसी के बेटे की बलि लेकर मन्नत पूरी करती है यह हमारी मानसिकता की अपंगता को दर्शाता है। किसी धर्म या मजहब का त्यौहार किसी जीव का खून बहा कर, किसी प्राणी की बलि या कुर्बानी देकर मनाया जाता है तो वह मानव जाति को कलंकित करता है।
मानवता को शर्मसार करने वाला ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां एक युवक ने बेटा पैदा होने की खुशी में पशु की भी नहीं एक युवक की बलि दी है ।
मामला रीवा जिले के बैकुंठपुर थाना अंतर्गत बेढौवा गांव का है। जहाँ प्राचीन फूलमती माता मंदिर की चौखट पर एक युवक की लाश मिली । इस युवक की गर्दन पर पीछे से कुल्हाड़ी से वार कर हत्या की गई थी। सुबह गांव के लोगों ने मंदिर में लाश देखी तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी. जांच के दौरान घटनास्थल में एक कुल्हाड़ी बरामद हुई।
मृतक ने काले रंग की जींस पैंट पहनी थी, जबकि शर्ट शव के पास रखी मिली. जांच के लिए फॉरेंसिक टीम और साइबर सेल की भी मदद ली गई। इस बीच मृतक की पहचान क्योटी गांव के 18 वर्षीय दिव्यांश कोल रूप में की गई। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर शव को संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।
एसडीओपी नवीन तिवारी ने बताया कि 32 वर्षीय रामलाल प्रजापति ने मन्नत पूरी होने पर नरबलि दी है। पूछताछ में आरोपी रामलाल ने पुलिस को बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं। उसने देवी से मन्नत मांगी थी कि अगर उसे बेटा होता है तो वो नरबलि देगा। जब तीन बेटियों के बाद घर में बेटा पैदा हुआ तो उसे मन्नत के मुताबिक एक युवक की बलि देनी थी।
वह किसी लड़के की तलाश कर रहा था। वारदात के दिन वह युवक उसे बकरियां चराते हुए मिल गया । सुनसान पाकर वह युवक को अपने साथ बेढ़ौआ गांव स्थित देवी मंदिर ले आया और कुल्हाड़ी से गला काटकर बलि दे दी। इसके बाद वह फरार हो गया। आरोपी तंत्र-मंत्र और गांव में झाड़-फूंक भी करता है। इससे पहले भी वह मंदिर में हाथ काट कर खून चढ़ा चुका है।