न्यूज़- ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली Carmen Greentree अपनी नई किताब को लेकर इस समय काफी चर्चा में हैं। चर्चा का सबसे बड़ा कारण है, इसमें भारत यात्रा को लेकर बताया गया उनका अनुभव। Carmen ग्रीनट्री (Carmen Greentree) पूर्व स्टार सर्फर हैं, जो साल 2004 में भारत यात्रा पर आई थीं। लेकिन इस दौरान Carmen के साथ जो कुछ हुआ है, वह बेहद शर्मनाक है। उन्हें जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में एक हाउसबोट के अंदर करीब दो महीने तक बंदी बनाकर रखा गया, जहां हर रोज उनके साथ रेप किया जाता था। इस दर्दनाक कहानी का जिक्र Carmen ने अपनी किताब 'अ डेंजरस पर्सूट ऑफ हैप्पिनेस' (A Dangerous Pursuit of Happiness) में किया है।
Carmen Greentree ने किताब में बताया है कि एक स्थानीय कश्मीरी पुरुष ने उन्हें अपनी हाऊसबोट में बंधक बनाकर रखा था। वह रोजाना उनके साथ रेप करता और विरोध करने पर मारपीट भी करता। इसके साथ ही उनका धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की गई। उस समय उनकी उम्र 22 साल थी। उन्होंने इसमें लिखा है कि वह भारत इसलिए आई थीं, ताकि धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात कर सकें। डेली मेल से बातचीत में उन्होंने कहा कि दिल्ली आने के बाद वह कुछ धोखेबाजों के जाल में फंस गईं, जो खुद को सरकारी टूरिज्म ऑपरेटर्स बता रहे थे।
इसके बाद उन्हें धोखे से श्रीनगर की फ्लाइट में बिठा दिया गया। जहां उनके कथित बलात्कारी रफीक अहमद दुंदू ने उन्हें रिसीव किया। ये शख्स उन्हें अपनी हाउसबोट तक लेकर गया और वहीं दो महीने तक बंधक बनाकर रखा। इसके साथ ही वह वहां से भाग ना सकें, इसलिए उनका पासपोर्ट और बाकी का सामान छीन लिया।
कैरमन कहती हैं कि इस शख्स ने बार-बार उनके साथ रेप किया। हैरानी की बात ये है कि इस हाउसबोट में दुंदू के अलावा उसकी पत्नी, माता-पिता, भाई और बच्चे भी रहते थे। ये सब लोग इस अपराध को देख रहे थे लेकिन चुप थे। किसी ने भी कैरमन की मदद करने की कोशिश नहीं की।
कैरमन आगे कहती हैं कि जब वो वहां से बच निकलने में कामियाब हुईं तो दुंदू, उसके भाई शब्बीर अहमद दुंदू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ये लोग केवल 6 महीने तक ही जेल में रहे लेकिन इन्हें कोई सजा नहीं सुनाई गई। ऐसा इसलिए क्योंकि कैरमन गवाही देने के लिए लौटकर कभी नहीं आईं। कैरमन ग्रीनट्री अब हॉलिस्टिक मेडिसिन का काम करती हैं।
ये मामला प्रकाश में आने के 16 साल बाद एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है। उस समय पीड़िता की पहचान गुप्त रखी गई थी। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा जा रहा है कि साल 2004 में जो मामला सामने आया था, उसमें कुछ विसंगतियां भी थीं।
उस समय कार्मन बुकर रहीं कैरमन ने डेली मेल से बातचीत में कहा कि साल 2003 में विमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप टूर में हिस्सा ना ले पाने के कारण उन्होंने आध्यात्मिकता की तलाश और यात्रा करने के लिए ब्रेक ले लिया था। इसके बाद वो दिल्ली और फिर श्रीनगर पहुंची।
दुंदू ने उनसे कहा कि अकेली महिला का बाहर रहना काफी खतरनाक है इसलिए उन्हें उसके (दुंदू) के साथ रहना चाहिए। दुंदू ने उन्हें कहा कि धर्मशाला की बस पकड़ने से पहले वह डल झील पर स्थित वाईएच सनबीम नाम की हाउसबोट में रातभर रह सकती हैं। लेकिन यहां पहुंचते ही दुंदू ने उनके साथ जबरदस्ती की और उनका पासपोर्ट और पैसे छीन लिए।
वह कहती हैं, 'वो सबसे बुरा अहसास था, जब मैंने उसे वो सब दे दिया जो वो चाहता था। तब पहली बार उसने मेरा रेप किया। मैं बहुत थकी हुई थी और लड़ नहीं सकती थी। और ये जानती थी कि वो रुकने वाला नहीं है।' कैरमन के अनुसार, उन्हें लगा कि इस रेप के बाद दुंदू उन्हें छोड़ देगा लेकिन वो 2 महीने तक उनके साथ रेप करता रहा,
जब भी वो भागने की कोशिश करतीं तो उनके साथ मारपीट तक करता। वह कहती हैं, 'मैंने गिनना छोड़ दिया था कि वो कितनी बार मेरा रेप कर रहा है। मैंने उसे अपने दिमाग से निकाल दिया है। मुझे उसके अधिकतर हमले याद नहीं हैं।'
कैरमन कहती हैं कि दुंदू ने उनके अकाउंट से सारे पैसे निकाल लिए और बोलने लगा कि अपने परिवार से और पैसे भेजने को कहो। दुंदू के परिवार ने उन्हें बचाने की बजाय पारंपरिक कश्मीरी कपड़े पहनने और दिन में पांच बार नमाज पढ़ने के लिए विवश किया।
इसके साथ ही उनसे कुरान पढ़ने को भी कहा गया। यहां से बच निकलने के बारे में बताते हुए कैरमन कहती हैं कि उनके एक दोस्त को सपना आया कि वह खतरे में हैं। जिसके बाद उसने दिल्ली स्थित ऑस्ट्रेलियन हाई कमीशन को मामले में जानकारी देने को कहा। फिर स्थानीय पुलिस को उनके बारे में पता चला।
पुलिस ने पहले कैरमन को बचाया फिर दोबारा हाउसबोट तक उनके दस्तावेज और पासपोर्ट लेने गई। इसके बाद दुंदू और उसके भाई को गिरफ्तार किया गया। कैरमन ने कहा कि उन्होंने बंदी रहने के दौरान अपने पास एक डायरी भी रखी थी जिसे बाद में फाड़ दिया, जब उनके दोस्त ने बताया कि उन्हें बचा लिया गया है।
ऑस्ट्रिलाई मीडिया की एक रिपोर्ट में उस समय कहा गया था, 'कैरमन ग्रीनट्री जैसे तैसे बोट से निकलकर दिल्ली भाग आईं और ऑस्ट्रेलियन हाई कमीशन के अधिकारियों से मिलीं।'
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