स्पेशल रिपोर्ट – एक लोकतांत्रिक देश में रहने वाले लोगों को सबको अभिव्यक्ति होती है, उन्हें भी अपने अधिकार होते है, अगर वो अपने अधिकारों को उपयोग करता है तो जरूरी है हम उसका सम्मान करें, लेकिन क्या ऐसा होता है शायद नहीं, क्योंकि यदि हमें वो बात अच्छी नहीं लगे तो वो गलत हो जाती है, सबके अपने-अपने विचार है इसलिए गलत बताने को तो फिर भी ठीक है, लेकिन देशविरोधी या देशद्रोही साबित करने में जूट जाना कंहा तक ठीक है।
देश में आजकल इसी तरह का माहौल है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मॉब लिंचिंग पर पत्र लिखने के मामले में 49 सेलिब्रिटीज पर मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं, देश में बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों से संबंध रखने वाले 49 बडी हस्तियों ने पीएम को पत्र लिखा था, इसको लेकर मुजफ्फरपुर की अदालत में केस दर्ज हुआ, पत्र लिखने वाले सभी 49 हस्तियों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है इस मामले की सुनवाई अदालत अगले महीने करेगा।
इस मामले पर केस करने वाले एडवोकेट सुधीर कुमार ओझा ने आरोप लगाया है कि इन लोगों के द्वारा पीएम को लिखे गए पत्र से न केवल देश की छवि विदेशों में खराब हुई है, बल्कि अलगाववादियों से मिलकर देश को विभाजित करने की कोशिश की गई है।
पीएम को पत्र लिखने वालों में अनुराग कश्यप, अदूर गोपालकृष्णन, मणिरत्नम, अपर्णा सेन, जैसे लोगों के हस्ताक्षर है। केस होने के बाद फिल्म निर्देशक मणिरत्नम ने तो ये तक कह दिया की चिट्टी पर उनके फर्जी साइन है, उन्होंने न तो ऐसी किसी चिट्ठी पर साइन किया है और न ही ऐसी कोई चिट्ठी उनके पास सपोर्ट करने के लिए भेजी गई है।
49 हस्तियों ने जो मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो पत्र लिखा था, उसमें कहा गया कि इन दिनों 'जय श्री राम' हिंसा भड़काने का एक नारा बन गया है, इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं, यह दुखद है, इन मामलों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए, इसमें मुसलमान, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हुई लिंचिंग का जिक्र करते हुए एनसीआरबी के एक डाटा का हवाला भी दिया गया था, पत्र में ये भी कहा गया था कि सिर्फ संसद में ऐसी घटनाओं की आलोचना से कुछ नहीं होगा बल्कि एक्शन भी लेना होगा।
देश में मॉब लिंचिग की घटनाओं में वृद्धि तो हुई है लेकिन हमें यह समझना होगा कि इसे हम सब को मिलकर रोकना होगा, कानून तो देश में ढेरों है लेकिन जागरूकता की कमी है,