मासूम से सामूहिक दुष्कर्म, 2 साल बाद मिला न्याय, कुशल सिंह व महेंद्र को उम्रकैद

आरोपित कुशल सिंह व महेंद्र उसकी बच्ची को उठा ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बाद बच्ची रोती हुई घर पहुंची, जब मां ने बच्ची को गोद में लिया और तुरंत गश्त कर रही पुलिस को सूचना दी। इसके बाद लड़की को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। वह 7 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही
मासूम से सामूहिक दुष्कर्म, 2 साल बाद मिला न्याय, कुशल सिंह व महेंद्र को उम्रकैद
मासूम से सामूहिक दुष्कर्म, 2 साल बाद मिला न्याय, कुशल सिंह व महेंद्र को उम्रकैद

अजमेर के ब्यावर सिटी थाना क्षेत्र में 7 वर्षीय मासूम से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पोक्सो कोर्ट ने दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 74 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। वहीं 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। अदालत ने यह फैसला एफएसएल और डीएनए के साथ सीसीटीवी फुटेज और डॉक्टर की राय पर दिया। अपने फैसले में जज ने कहा कि आरोपी ने बेहद जघन्य कृत्य किया है। जिस पर नरम पड़ना उचित नहीं है।

7 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही मासूम
ब्यावर सिटी थाने में 14 जून 2019 को 7 वर्षीय मासूम के पिता ने शिकायत दी थी और बताया था कि वह झाड़ू बेचने का काम करता है। देर रात परिवार के साथ सो रहा था। इस दौरान रात 1 बजे दो आरोपित कुशल सिंह व महेंद्र उसकी बच्ची को उठा ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बाद बच्ची रोती हुई घर पहुंची, जब मां ने बच्ची को गोद में लिया और तुरंत गश्त कर रही पुलिस को सूचना दी। इसके बाद लड़की को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। वह 7 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही। पीड़िता के पिता की शिकायत पर ब्यावर सिटी थाना पुलिस ने पॉक्सो व गैंगरेप की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने मामले में 19 जून 2019 को पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

जज बीएल जाट ने सुनाया फैसला

बता दें ब्यावर सिटी पुलिस स्टेशन ने 19 अगस्त 2019 को कोर्ट में चार्जशीट पेश की। सुनवाई के दौरान पुलिस ने डीएनए और एफएसएल रिपोर्ट के साथ सीसीटीवी फुटेज भी पेश किया। जिसमें दो आरोपी लड़की को स्कूटी पर ले जाते नजर आए। पॉक्सो कोर्ट के जज बीएल जाट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। विशेष लोक अभियोजक रूपेंद्र परिहार ने बताया कि मामले में 16 गवाह और 133 दस्तावेज पेश किए गए। जज ने दो आरोपियों महेंद्र सिंह और कुशल सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई और साथ ही 74 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। वहीं इस मामले में 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था।

अधिकतम सजा का प्रावधान होना जरूरी

जज बीएल जाट ने अपने फैसले में कहा कि यह बेहद घिनौना कृत्य है। और समाज में इस तरह के घृणित कृत्य को देखते हुए, उसके प्रति नरमी बरताव अपनाना उचित नहीं है। ऐसे अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए अधिकतम सजा का प्रावधान होना जरूरी है।

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