
जम्मू एंड कश्मीर बडगाम में राजस्व विभाग के कश्मीरी पंडित (Kashmiri pandit killed) कर्मचारी की हत्या के बाद पूरे जम्मू-कश्मीर प्रदेश में तनाव का माहौल है। मृतक राहुल भट का पार्थिव शरीर शुक्रवार को जम्मू लाया गया। यहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। कश्मीरी पंडित हत्या का विरोध कर रहे हैं। इधर कश्मीर टाइगर्स नाम के एक संगठन ने राहुल भट की हत्या की जिम्मेदारी ली है, हालांकि स्थानीय प्रशासन सहित जांच एजेंसियों को इस आतंकी संगठन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि जांच एजेंसियां का पूरी तरह से इस नए उग्रवादी संगठन कश्मीर टाइगर्स की जड़ तक जाने में जुट गई है। वहीं सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर जांच ऐजेंसियां इस नए उग्रवादी संगठन की जानकारी क्यों नही जुटा पाईं।
राहुल भट (35) राजस्व विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे। गुरुवार को दो आतंकियों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि राहुल के सीने में तीन गोलियां मारी गईं। श्रीनगर अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों के अनुसार एक गोली सीने के दायीं ओर और दो गोलियां बायीं ओर लगी, जिससे उनका हार्ट डैमेज हो गया।
अगस्त 2019 से विभिन्न घटनाओं में 14 कश्मीरी पंडित और हिंदू संदिग्ध आतंकियों के हमले के शिकार हुए हैं। वहीं मार्च में ही घाटी में 8 को निशाना बनाया गया। मृतकों में से चार मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के रहने वाले हैं। इनमें एक एसपीओ और उनके भाई भी हैं।
राहुल भट अपनी पत्नी के साथ बडगाम के शेखपुरा में कश्मीरी पंडितों की आबादी वाले एरिया में रहते थे। वह बडगाम के ही बीरवाह के मूल निवासी हैं जबकि उनके अन्य परिवार के सदस्य जम्मू में बस चुके हैं। ट्रांजिट कैंप में रहने वाले कश्मीरी पंडित समुदाय के कई लोगों ने गुरुवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में सड़क जाम कर हत्या को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर कैंडल्स थामें हुए घटना की जांच की मांग कर रहे थे। शेखपुरा क्लस्टर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों ने बडगाम के संभागीय आयुक्त कमिश्नर और उपायुक्त से शिकायतें सुनने की अपील की। कश्मीरी पंडितों का कहा कि कि वह अब घाटी में सुरक्षित नहीं हैं और उन्हें पुख्ता सुरक्षा दी जाए।
गौरतलब है कि घाटी में खासकर हिंदुओं पर अटैक का सिलसिला बीते साल मेडिकल के ओनर माखन लाल बिंदरू का मर्डर कर शुरू हुआ था। गत वर्ष 5 अक्टूबर 2021 को श्रीनगर के इकबाल पार्क स्थित उनकी दुकान में आतंकियों ने उन्हें गोली मारी थी। 1990 में जब कश्मीर में उग्रवाद की चिंगारी भड़की थी तो उनकी कम्यूनिटी के कई लोग घाटी छोड़ जा चुके थे। लेकिन माखन बिंदरू ने यहीं डटे रहने का फैसला किया था। पुलिस डेटा के मुताबिक आतंकियों ने इस साल अब तक 28 नागरिकों को निशाना बनाया है। इसमें 5 स्थानीय हिंदू/सिख और दो गैर स्थानीय हिंदू मजदूर शामिल हैं।
अप्रैल के पहले हफ्ते में ही चार माइग्रेट लेबर्स पर टीआरएफ आतंकियों ने अटैक कर उन्हें घायल कर दिया था। बता दें कि 19 मार्च को आतंकियों ने पुलवामा में गैर कश्मीरी काश्तकार को गोली मार घायल कर दिया था। घायल मोहम्मद अकरम (40) यूपी के बिजनौर से हैं। 3 अप्रैल को पंजाब के ट्रक ड्राइवर सुरिंदर सिंह और धीरज दत्ता पर पुलवामा के ही नौपाड़ा में मिलिटेंट ने गोलियां बरसा कर दोनों को घायल कर दिया था।