ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 91 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर गिलानी के निधन की जानकारी दी। उधर, कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने कहा कि गिलानी की मौत की खबर मिलने के बाद कश्मीर में कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं. इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
महबूबा मुफ्ती ने कहा- गिलानी साहब के इंतकाल की खबर से दुखी हूं। हमारे बीच ज्यादा मुद्दों पर एकराय नहीं थी, लेकिन उनकी त्वरित सोच और अपने भरोसे पर टिके रहने को लेकर उनका सम्मान करती हूं। अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे। उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करती हूं।
हुर्रियत के वरिष्ठ नेता ने बुधवार रात 10.35 बजे हैदरपुरा स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। गिलानी का परिवार उन्हें हैदरपुरा में ही सुपुर्द-ए-खाक करना चाहता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें सोपोर में भी दफनाया जा सकता है। गिलानी के परिवार में दो बेटे और चार बेटियां हैं।
गिलानी कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता थे। 29 सितंबर 1929 को सोपोर में जन्मे गिलानी को हुर्रियत कांफ्रेंस का उदारवादी चेहरा माना जाता था। गिलानी ने अपनी कॉलेज की शिक्षा लाहौर से की। उस समय लाहौर भारत का हिस्सा था। वह कश्मीर की सोपोर विधानसभा सीट से तीन बार विधायक भी रहे।
गीलानी ने कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं माना और इसके अलग होने की मांग की। उन्होंने 1990 के दशक में आतंकवादी हिंसा और अलगाववाद की राजनीति के गुटों को मिलाकर ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया। इसमें 1987 के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस का विरोध करने वाले सभी धड़े शामिल हो गए थे।
गिलानीपर पाकिस्तान की फंडिंग की मदद से कश्मीर में अलगाववाद भड़काने का आरोप लगे। उनके खिलाफ कई मामले भी दर्ज किए गए थे, जिसके बाद उनका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया था। एनआईए और ईडी ने टेरर फंडिंग के मामले में जांच की थी, जिसमें उनके दामाद समेत कई रिश्तेदारों से पूछताछ की गई थी।