फोन टैपिंग मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी को तीसरी बार नोटिस जारी कर 12 नवंबर को पूछताछ के लिए तलब किया है। इस बार दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को पेश नहीं होने पर गिरफ्तारी की चेतावनी दी है। गिरफ्तारी अपराध शाखा ने पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होने पर 160 सीआरपीसी के तहत दो बार नोटिस भेजा था, लेकिन इस बार लोकेश शर्मा को सीआरपीसी 41 (1) ए के तहत आरोपी के रूप में बुलाया गया है।
बता दें की दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इससे पहले गहलोत के ओएसडी को नोटिस जारी कर 24 जुलाई और 22 अक्टूबर को पूछताछ के लिए तलब किया था। लेकिन वे दोनों बार पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए। इस बार दिल्ली क्राइम ब्रांच ने सीएम के ओएसडी को भेजे नोटिस में कई शर्तें रखी हैं। इस बार उन्होंने पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होने और नोटिस की शर्तों का पालन नहीं करने पर अगली बार गिरफ्तारी की चेतावनी दी है। लोकेश शर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन वह उनसे पूछताछ करने के लिए स्वतंत्र हैं। अब दिल्ली क्राइम ब्रांच के सख्त लहजे में नोटिस के बाद पूरा मामला बदल गया है। लोकेश शर्मा के 12 नवंबर को पेश होने पर अभी स्थिति साफ नहीं है।
इस बार दिल्ली क्राइम ब्रांच ने सीएम के ओएसडी पर कई शर्तें और पाबंदियां लगाई हैं। नोटिस में शर्त रखी गई है कि भविष्य में कोई भी कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे। मामले से जुड़े किसी भी गवाह को धमकाना या संपर्क करना मना है। जरूरत पड़ने पर पूछताछ के लिए उपस्तिथ होना होगा, कोर्ट समय पर आना होगा। सीएम के ओएसडी को मामले से जुड़े सबूत देने को कहा गया है। दस्तावेज और ऑडियो भी जांच के लिए पेश करने को कहा गया है। नोटिस के मुताबिक और भी पाबंदियां लगाई जा सकती हैं।
पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट खेमे के विद्रोह के बाद सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगा था। गहलोत खेमे ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए कुछ ऑडियो टेप वायरल कर दिए थे। इसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा से गहलोत सरकार गिराने के लिए सौदेबाजी करने का आरोप लगा था। इस मुद्दे पर विधानसभा के बजट सत्र में काफी बवाल हुआ था। संसद में भी यह मामला उठा था। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने बैठक में स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री के ओएसडी ने ऑडियो वायरल किया था। बीजेपी शुरू से ही सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए इन वायरल ऑडियो के सोर्स के बारे में पूछती रही है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की शिकायत पर 25 मार्च को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने फोन टैपिंग मामले में लोकेश शर्मा और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। लोकेश शर्मा ने राजस्थान में हुई घटना को लेकर दिल्ली में मामला दर्ज करने के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने लोकेश शर्मा को 13 जनवरी तक गिरफ्तारी से राहत दी है, लेकिन क्राइम ब्रांच उनसे पूछताछ कर सकेगी। अब इस मामले में जांच तेज होने की उम्मीद है। बता दें की अभी तक किसी से पूछताछ नहीं हो सकी है।