कश्मीरी पंडित की बेटी की आतंकियों को चुनौती: कहा- “मेरे पिता के हत्यारो, अगर तुम्हारी औकात है तो मेरे सामने आओ और मुझसे बहस करो”

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने फिर से कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। मंगलवार को श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के प्रख्यात रसायनज्ञ माखनलाल बिंदू की हत्या कर दी गई। आतंकी मेडिकल स्टोर में घुसे और उन्हें गोली मार दी। बुधवार को उनकी बेटी डॉक्टर श्रद्धा बिंदू ने आतंकियों को बहस की चुनौती दी है।
कश्मीरी पंडित की बेटी की आतंकियों को चुनौती: कहा- “मेरे पिता के हत्यारो, अगर तुम्हारी औकात है तो मेरे सामने आओ और मुझसे बहस करो”
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डेस्क न्यूज़- जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने फिर से कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। मंगलवार को श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के प्रख्यात रसायनज्ञ माखनलाल बिंदू की हत्या कर दी गई। आतंकी मेडिकल स्टोर में घुसे और उन्हें गोली मार दी। बुधवार को उनकी बेटी डॉक्टर श्रद्धा बिंदू ने आतंकियों को बहस की चुनौती दी है। डॉ. श्रद्धा ने कहा कि वह उनके कश्मीरी पंडित पिता की बेटी हैं। अगर आतंकियों में दम है तो उनके सामने आकर बहस करे। 68 वर्षीय कश्मीरी पंडित केमिस्ट, जिन्हें आतंकवादियों ने गोली मारी थी, उन चंद लोगों में से एक थे जिन्होंने 90 के दशक में भी कश्मीर नहीं छोड़ा था।

कश्मीरी पंडित की बेटी ने क्या कहा?

मेरे पिता बहुत मेहनती थे। अपने काम के शुरुआती दिनों में वह साइकिल से ही जाया करते थे। उन्होंने मुझे और मेरे भाई को पढ़ाया। मेरा भाई यहाँ एक प्रसिद्ध फेमस डायबिटोलॉजिस्ट (मधुमेह चिकित्सक)है। मैं एसोसिएट प्रोफेसर हूं। मेरी मां एक महिला होने के नाते हमारे मेडिकल का ख्याल रखती हैं। मेरे पापा का जज्बा कितना ऊंचा है, इसी से समझा जा सकता है। यह सब उसके जुनून का नतीजा है।

आतंकवादी मेरे पिता के शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन उनकी आत्मा हमेशा अमर रहेगी। मैं चुनौती देती हूं जिसने भी मेरे पिता को गोली मारी। वह आए और मुझसे बहस करे। नहीं कर पाएंगे, क्योंकि आतंकवादी पीठ पीछे ही गोली मार सकते हैं। मैं अपने पिता की बेटी हूं, अगर तुम्हारी औकात है, तो मेरे सामने आओ और मुझसे बात करो। हिंदू होने के बाद भी मैंने कुरान पढ़ी है। कुरान कहता है – शरीर तो एक चोला है, जिसे बदला जा सकता है, लेकिन किसी के जज्बे को कभी खत्म नहीं किया जा सकता। माखनलाल बिंद्रू की आत्मा हमेशा अमर रहेगी।

1990 में नही छोड़ा था कश्मिर

माखनलाल बिंदू श्रीनगर के एक प्रमुख केमिस्ट थे। उनका परिवार श्रीनगर में तीन पीढ़ियों से दवाओं का कारोबार कर रहा है। 1990 में जब आतंकवाद अपने चरम पर था, तब भी बिंदू ने अपना घर नहीं छोड़ा। श्रीनगर में दशकों से मशहूर है कि जो दवा कहीं नहीं मिलेगी वह बिंदू की दुकान पर मिलेगी। लोग उन पर इसलिए भी भरोसा करते थे क्योंकि वह लगातार नकली दवाओं के खिलाफ बोलते थे। रघुनाथ मंदिर के पास हरि सिंह हाई स्ट्रीट पर उनकी दुकान पर हमेशा भीड़ रहती है। बिंदू को जानने वाले बशारत अहमद कहते हैं- आज कश्मीर ने एक सगा बेटा खो दिया। श्रीनगर के दानिश कहते हैं- मेरी मां हमेशा कहा करती थीं, असली दवाएं बिंदू की दुकान पर ही मिलती हैं।

टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष और बिहार के फेरीवाले की भी हत्या कर दी

बिंदू पर हमले के एक घंटे बाद आतंकियों ने बिहार के वीरेंद्र पासवान को अवंतीपोरा के हवाला इलाके में मार दिया। वीरेंद्र भेलपुरी और गोलगप्पे ठेला लगाते थे। चंद मिनट बाद मंगलवार को बांदीपोरा के मो. शफी लोन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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