सांसदों के खिलाफ मामलों के लिए नामित दिल्ली की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में आरोप तय करने पर अपना आदेश फिर से टाल दिया। यह पांचवीं बार है, जब थरूर के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को टाला गया है।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि वह रिकॉर्ड पर लाना चाहता था और आरोप तय करते समय प्रथम दृष्टया मामले के पहलू पर हाल के एक फैसले पर भरोसा करना चाहता था।
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने फैसले को रिकॉर्ड में रखने और इसकी प्रति थरूर के वकील को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। हालांकि, अदालत ने कहा कि वह अब और आवेदनों पर विचार नहीं करेगी।.
29 अप्रैल, 19 मई और 16 जून को महामारी के कारण न्यायिक कार्य प्रभावित होने के कारण आदेश को टाल दिया गया था। अदालत को अभियोजन पक्ष की ओर से लिखित आवेदन दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया। आवेदन मिलने के बाद दो जुलाई को फिर से सुनवाई स्थगित कर दी गई। इस मामले में अब 18 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा।
थरूर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने मामले में अपने मुवक्किल को आरोप मुक्त करने की मांग करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने उनके मुवक्किल के खिलाफ मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना का आरोप नहीं लगाया है। पाहवा ने यह भी तर्क दिया कि पुलिस जांच पर चार साल बिताने के बाद भी सुनंदा पुष्कर की मौत के कारण का पता नहीं लगा सकी।
सुनंदा 17 जनवरी, 2014 की शाम होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं। शुरुआत में, दिल्ली पुलिस ने हत्या की जांच की और भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन फिर उसने थरूर पर धारा 306 आत्महत्या के लिए उकसाना) और 498ए (पति द्वारा क्रूरता) के तहत आरोप लगाया