बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा के पोर्न बिजनेस से जुड़े नए चैट्स सामने आए हैं. इन चैट्स से पता चलता है कि उन्होंने अपने बिजनेस को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्लान-बी तैयार किया था।
जनता तक पोर्न सामग्री पहुंचाने के लिए इस्तेमाल हो रहे 'हॉटशॉट्स'
ऐप को पहले एप्पल और बाद में गूगल ने अपने प्ले स्टोर पर 2020 में
बैन कर दिया था। इसका सीधा असर कुंद्रा की पोर्न सामग्री से होने
वाली कमाई पर पड़ा, जिसके चलते उन्होंने प्लान-बी के तहत एक
नया ऐप 'बोलिफेम तैयार किया।
कुंद्रा नई तकनीक को देखते हुए काम कर रहे थे।
उन्होंने महसूस किया कि भविष्य में लाइव कंटेंट सबसे ज्यादा देखा जाएगा,
क्योंकि स्क्रीन रिकॉर्डिंग संभव नहीं है।
अभी फिल्मों, वेब सीरीज या अन्य वीडियो से संबंधित अधिकांश सामग्री
को स्क्रीन पर रिकॉर्ड किया जाता है और विभिन्न प्लेटफार्मों पर रखा जाता है।
जहां से यूजर्स इसे आसानी से फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं।
इससे कंपनियों को सब्सक्रिप्शन से मिलने वाली रकम का नुकसान होता है।
राज कुंद्रा के प्लान-बी का सबसे बड़ा हिस्सा बोलिफेम ऐप था। उन्होंने काम से बात करते हुए इसका जिक्र भी किया है. वे चाहते थे कि नया ऐप Google Play Store और Apple Store पर उपलब्ध कराया जाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा यूजर्स इसे डाउनलोड कर सकें। अगर ऐसा होता है तो उनकी आमदनी भी कई गुना बढ़ जाएगी। वे इस ऐप पर लाइव कंटेंट लाना चाहते थे। इससे उनकी पोर्ट कंटेंट तैयार करने की लागत कम हो जाती। वे 3 कामों में पैसे बचाते हैं…1.होटल या किसी बंगला का किराया 2.शूटिंग कैमरा और दूसरे इक्विपमेंट का खर्च 3.एडिटिंग का खर्च और समय
ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि अगर कुंद्रा टेक्नोलॉजी के दम पर अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहे थे तो क्या टेक्नोलॉजी पोर्न या कॉपीराइट कंटेंट को बढ़ावा दे रही है? क्या तकनीक ने पोर्न सामग्री को एक्सेस करना आसान बना दिया है? क्या तकनीक अलग-अलग सब्सक्रिप्शन के लिए लोगों के पैसे बचा रही है? आइए एक-एक करके इन सब के बारे में बात करते हैं.
सरकार ने देश में 1300 से ज्यादा पोर्न वेबसाइट्स पर बैन लगा दिया है. इसके बाद भी आसानी से लोगों को अश्लील सामग्री परोसी जा रही है. अभी भी एक क्लिक पर कई वेबसाइट खुल जाती हैं। ऐसी सामग्री तक पहुँचने के लिए लोग क्रोम के अलावा अन्य ब्राउज़रों का उपयोग करते हैं। वहीं टॉरेंट की मदद से यह काम और भी आसान हो जाता है।
वैसे तो टॉरेंट को सरकार ने सालों पहले बैन कर दिया था, लेकिन आप इसके ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। वहीं, प्रॉक्सी सर्वर पर जाकर भी इसे एक्सेस किया जा सकता है। एपीके फाइल की मदद से इसका सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल किया जा सकता है।
प्रौद्योगिकी ने चीजों को आसान बना दिया है, इसलिए कॉपीराइट सामग्री के दोहराव पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। खासकर यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर आप अपनी कमाई के लिए कॉपीराइट कंटेंट का इस्तेमाल नहीं कर सकते। ऐसा होने पर कंपनी आपको स्ट्राइक भेजती है। इसका सबसे बड़ा फायदा उन कंपनियों या लोगों को दिया जा रहा है जो पैसा और समय खर्च कर कंटेंट बनाते हैं।
इन दिनों नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार डिज्नी प्लस, जी5, सोनी लिव, अल्ट बालाजी समेत कई अन्य एप अपना-अपना कंटेंट ला रहे हैं। ये सामग्री सदस्यता के साथ प्रदान की जाती हैं। यानी यूजर को इसके लिए हर महीने या सालाना एक फिक्स पेमेंट करना होता है। ऐसे में अलग-अलग कंटेंट के लिए हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन यह सारा कंटेंट टोरेंट, टेलीग्राम की मदद से फ्री में डाउनलोड किया जाता है। कुंद्रा सब्सक्रिप्शन के साथ अपना कंटेंट भी बेचते थे।