11वीं की छात्रा का सुसाइड नोट 'बेटियां या तो गर्भ में सेफ हैं या कब्र में' न आना इस देस मेरी लाडो
चेन्नई : एक खत में सिमटी चंद शब्दों में एक दर्द की दास्ताँ , और ख़त्म कर ली एक नाबालिग बेटी ने अपनी जिंदगी , इस उम्मीद के साथ कि शायद मौत से ही उसे इस शोषण से मुक्ति मिलेगी और शायद ये समाज और सिस्टम उसके अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा देगी। ११वी की छात्रा के आत्महत्या के पहले लिखे सुसाइड नोट में खुद के साथ हुई ज्यादती के साथ आरोपी को सजा देने कि अपनी आखिरी इच्छा भी थी।
एक ही स्कूल में पढ़ा करते थे पीड़ित और आरोपी
पुलिस जांच में सामने आया कि छात्रा और आरोपी लड़का दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे। यहीं उनकी तीन साल पहले दोस्ती हुई थी। बाद में लड़की लड़कियों के स्कूल गई, लेकिन उसके बाद दोनों की इंस्टाग्राम पर दोस्ती हो गई। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं अन्य लोगों ने भी लड़की को परेशान तो नहीं किया।
सुसाइड नोट में परिजन व शिक्षकों का जिक्र से पुलिस को उन पर भी शोषण करने का शक
छात्रा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि स्कूल सुरक्षित नहीं हैं | यहां तक कि शिक्षकों पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। मानसिक रूप से परेशान होने के कारण मैं न तो पढ़ पा रहा हूं और न ही सो पा रहा हूं। हर माता-पिता को अपने बच्चों और लड़कों को लड़कियों का सम्मान करना सिखाना चाहिए। सुसाइड नोट के अंत में छात्रा ने अपने रिश्तेदारों और शिक्षक का जिक्र करते हुए लिखा- और यौन उत्पीड़न बंद करो जस्टिस फॉर मी
आरोपित ने स्वीकारा अपराध
गिरफ्तार कॉलेज छात्र ने मामले में अपना जुर्म कबूल कर लिया है। पुलिस को दिए बयान में आरोपी ने बताया कि छात्रा के साथ उसके शारीरिक संबंध थे. वह पिछले दो सप्ताह से उसे परेशान कर रहा था। लगातार अश्लील और गंदे मैसेज भेजना। आरोपियों ने यह भी बताया कि 8 महीने पहले तक उनकी काफी अच्छी दोस्ती थी।