शिवराज सिंह बोले- मेरे भाई ने आवेदन ही नहीं दिया तो कैसे माफ हुआ कर्ज

किसान कर्ज माफ़ी प्रदेश की कांग्रेस सरकार का झूठ हैकिसान कर्ज माफ़ी प्रदेश की कांग्रेस सरकार का झूठ है
शिवराज सिंह बोले- मेरे भाई ने आवेदन ही नहीं दिया तो कैसे माफ हुआ कर्ज
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कर्ज माफी पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. आज सुबह फिर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की कर्ज माफी पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कमलनाथ सरकार और राहुल गाधी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि," मेरे परिवार के किसी भी सदस्य का कर्जा माफ नहीं हुआ है. वो यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि, कर्जमाफी के नाम पर कांग्रेस ने किसानों से धोखा दिया है."

अपनी बात को सही साबित करने के लिए शिवराज सिंह ने ग्राम पंचायत के रजिस्टर की कॉपी प्रमाण के रूप में दी, जिसमें लिखा है कि रोहित चौहान ने क़र्ज़माफ़ी का आवेदन ही नहीं किया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस बात को कहा कि," कल राहुल गांधी ने कहा था कि मेरे भाई का भी कृषि लोन माफ हुआ है. कृषि लोन की माफी के लिए जैत पंचायत में जो आवेदन दिए गए हैं. उसमें ये साफ-साफ लिखा हुआ है कि मेरे भाई रोहित ने कर्ज माफी के लिए कोई आवेदन ही नहीं भरा है.

शिवराज सिंह के बाद कांग्रेस ने भी उनके भाई का कर्जा माफ होने का सबूत पेश किया. कृषि मंत्री सचिन यादव ने ट्वीट कर शिवराज सिंह के भाई रोहित सिंह के कर्जमाफी से जुड़ा आवेदन और बाकी दस्तावेज पेश किए.

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि," कल कांग्रेस अध्यक्ष सूची दिखा रहे थे कि मेरे भाई रोहित चौहान का कर्जा माफ हुआ है, मैंने हकीकत पता कि तो बता दूं, मेरे भाई ने कर्ज माफी का आवेदन ही नहीं भरा, फिर कमलनाथ जी आप मुझपर इतनी कृपा क्यों करते हो." वो यहीं नहीं रुके उन्होंने किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर कमलनाथ सरकार को भी घेरते हुए कहा कि, "एमपी कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले वचन पत्र में सभी किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने की बात कही थी, किसानों का क़र्ज़ माफ नही किया उल्टा मुझे आई ड्रॉप भेजी, बादाम और च्यवनप्राश भेजा, ताकि मैं देख सकूं कि कितने किसानों का क़र्ज़ माफ हुआ है." शिवराज सिंह ने कहा, कल कांग्रेस ने मेरे घर बाबा रामदेव का च्यवनप्राश भेजा है इसका मतलब कांग्रेस की पूरी श्रद्धा बाबा रामदेव के साथ है, कॉन्फ्रेंस में शिवराज सिंह च्यवनप्राश लेकर पहुंचे.

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