MP हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को बताया अभिशाप, कहा- इससे यौन अपराध बढ़ रहे

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को अभिशाप बताते हुए कहा है कि इससे यौन अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है, सामाजिक विकृतियां फैल रही है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को अभिशाप बताते हुए कहा है कि इससे यौन अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है, सामाजिक विकृतियां फैल रही है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को अभिशाप बताते हुए कहा है कि इससे यौन अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है, सामाजिक विकृतियां फैल रही है।तस्वीर- Zee News

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि 'लिव-इन रिलेशनशिप' संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों का 'बायप्रोडक्ट' है, जिसमें यौन अपराध और संलिप्तता बढ़ रही है।

हाईकोर्ट ने एक महिला से बार-बार दुष्कर्म करने, उसकी मर्जी के बिना उसका जबरन गर्भपात कराने, धमकी देने और धमकी देने के आरोप का सामना कर रहे 25 वर्षीय व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए लिव-इन रिलेशनशिप पर कठोर टिप्पणी की है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 12 अप्रैल को जारी एक आदेश में कहा, "हाल के दिनों में लिव-इन रिलेशनशिप से उत्पन्न होने वाले अपराधों का संज्ञान लेते हुए कहा कि अदालत यह देखने के लिए मजबूर है कि यह भारतीय समाज के लोचकारों का उल्लंघन है।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 12 अप्रैल को जारी एक आदेश में कहा, "हाल के दिनों में लिव-इन रिलेशनशिप से उत्पन्न होने वाले अपराधों का संज्ञान लेते हुए कहा कि अदालत यह देखने के लिए मजबूर है कि यह भारतीय समाज के लोचकारों का उल्लंघन है।तस्वीर- Legal Vidhiya

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 12 अप्रैल को जारी एक आदेश में कहा, "हाल के दिनों में लिव-इन रिलेशनशिप से उत्पन्न होने वाले अपराधों का संज्ञान लेते हुए कहा कि अदालत यह देखने के लिए मजबूर है कि यह भारतीय समाज के लोचकारों का उल्लंघन है।

यह गहन यौन व्यवहार के साथ व्यभिचार को बढ़ावा दे रहा है, जिससे यौन अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है। लिव-इन रिलेशनशिप भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी का सह-उत्पाद है"।

हाईकोर्ट ने कहा, ''जो लोग इस आजादी का फायदा उठाना चाहते हैं, वे इसे तुरंत अपना लेते हैं, लेकिन वे इस बात से पूरी तरह अनजान हैं कि इसकी सीमाएं हैं.'' यह स्वतंत्रता (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी) किसी भी साथी को दूसरे पर कोई अधिकार प्रदान नहीं करती है।

केस डायरी व अन्य दस्तावेजों के मुताबिक 25 वर्षीय आरोपी और पीड़ित महिला लंबे समय से लिव-इन रिलेशनशिप में थे। इस दौरान आरोपी के कथित दबाव में महिला का 2 बार से अधिक गर्भपात भी कराया गया। महिला ने किसी दूसरे पुरुष से सगाई कर ली तो दोनों भागीदारों के बीच संबंध बिगड़ गए।

आरोप है कि जब उसे अपने पूर्व लिव-इन पार्टनर की सगाई के बारे में पता चला तो वह गुस्सा हो गया। वह अपने पूर्व लिव-इन पार्टनर को प्रताड़ित करने लगा। ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

आरोपी व्यक्ति ने महिला के भावी ससुराल वालों को वीडियो संदेश भेजकर धमकी दी कि अगर उन्होंने शादी करने का फैसला किया तो वह आत्महत्या कर लेगा और इसके लिए ससुराल पक्ष के साथ-साथ महिला के सास-ससुर को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। पीड़िता के वकील ने कोर्ट को बताया कि आरोपी की ओर से यह वीडियो भेजे जाने के बाद उसकी सगाई टूट गई और अब उसकी शादी नहीं हो रही है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को अभिशाप बताते हुए कहा है कि इससे यौन अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है, सामाजिक विकृतियां फैल रही है।
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