सुप्रीम कोर्ट में खतना को लेके दायर की गयी थी, जुलाई 2018 में. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकारों का ज़िक्र किया गया, महिला का ख़तना करना महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है. सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 15 (जाति, धर्म, लिंग के आधार पर भेदभाव पर रोक) के बारे में बताते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के शरीर पर उसका स्वयं का अपना अधिकार है.
क्या है खतना ?:– खतना में लड़कियों के (वेजाइना ) यानि योनी के बीच का अहम अंग और हम इसे अन्य किसी भाषा में लड़कियों में उनका क्लिटरिस काटा जाता है यह भी हम कह सकते है यह एक ऐसा अंग है जिसके बारे में लोगों को बहुत ही कम जानकारी है. यहां तक कि क्लिटरिस के लिए आम भाषा में कोई शब्द ही नहीं है. हां, संस्कृत में इसे भग्न-शिश्न कहते हैं. यह खाल का एक छोटा सा टुकड़ा होता है जो लड़कियों के वल्वा (वजाइना के लिप्स यानी बाहरी भाग कहते हैं) के ठीक ऊपर होता है
अब ये किस मानसिकता से "खतना" बचपन में लड़कियों में किया जाता है उसे हम आपके सामने रखे तो आप भी स्तब्ध रह जायेंगे ।
खतना करने कहा मुख्य कारण या वजह हम कहे तो यही है, की शादी से पहले उनका सेक्स करने का मन ना करे. वो वर्जिन और 'साफ़' रहेंगी. वजह सुनकर आपको अजीब लगा होगा लेकिन यह सत्य है ।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने क्या कहा और क्या उनकी इस पर प्रतिक्रिया रही हम आपको बता ते है।
कोर्ट ने कहा की "मुद्दा ये है कि ये महिलाओ के मौलिक अधिकारों का हनन है" खासकर आर्टिकल 15 का ख़तने पर रोक लगाना ज़रूरी है ताकि सुनिश्चित हो सके कि आपके शरीर पर केवल आपका अधिकार है संविधान दोनों ही जेंडर के प्रति संवेदनशील है. ऐसी प्रथा जो औरतों को केवल आदमियों के भोग की वस्तु बनाती हो वो संवैधानिक तौर पर ग़लत है.
एक नजर डाले अन्य देशो में जहा खतना प्रथा आज भी सुचारु है
मिस्र : 10 – 12 की उम्र में लड़कियों का मिश्र में खतना कर दिया जाता है मिस्र सरकार के मुताबिक, 92 फीसदी शादीशुदा महिलाएं खतना की प्रक्रिया से गुजर चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक, इस प्रक्रिया से गुजरने वाली सबसे ज्यादा महिलाएं मिस्र की हैं।
फ्रेंच गयाना: यहां खतना गैरकानूनी है, फिर भी यह खतना के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की 96 प्रतिशत महिलाएँ खतना की प्रक्रिया से गुज़रीं। इसके लिए धर्म या क्षेत्र का कोई भेद नहीं है।
माली: दक्षिण अफ्रीका में स्थित माली में भी खतना आम है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, माली में 15-49 आयु वर्ग की 85.2 प्रतिशत महिलाओं ने इस प्रक्रिया को अंजाम दिया। यहां सोनाराई, तमाचेक और बूजो में लोगों की संख्या कम है। माली में 64 फीसदी महिलाएं FMG को धार्मिक रूप से आवश्यक मानती हैं। यहां अब तक इसके खिलाफ कोई सख्त कानून नहीं है।
इरिट्रिया: दक्षिण अफ्रीकी देश इरिट्रिया में सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में, FGM की दर 89 प्रतिशत थी। यहाँ भी, यह ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक रूप से आवश्यक माना जाता है। यह मुस्लिम और ईसाई दोनों धर्मों में प्रचलित है। मार्च 2007 में, सरकार ने इसके खिलाफ एक कानून बनाया। इसके तहत जुर्माने से लेकर कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
सोमालिया: सोमालिया में लगभग 80 से 98 प्रतिशत महिलाओं का खतना किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि सोमालिया में 97.7 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां खतना प्रक्रिया से गुजरती हैं। वहीं, यूनिसेफ ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया कि सोमालिया में खतना की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। अगस्त 2012 में संविधान के अनुच्छेद 15 में खतना पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया है।