उत्तर प्रदेश के एटा की जिला जेल में बंद दो कैदियों को जज के जाली हस्ताक्षर के साथ जमानत पर रिहा कर दिया गया। पॉक्सो एक्ट के इन आरोपियों को रिहा करने के लिए कोर्ट के एक लिपिक ने फर्जी आदेश दिए। मामला संज्ञान में आने पर जिला जज ने जांच कराई और लिपिक को दोषी पाया गया. कोतवाली नगर में लिपिक के खिलाफ दो रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
जनपद न्यायाधीश मृदुलेश कुमार सिंह के आदेश और अपर जिला
जज कैलाश कुमार की जांच रिपोर्ट आने के बाद पेशकार अज्ञान
विजय की ओर से तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें
आरोप है कि न्यायालय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो-प्रथम में तैनात लिपिक मनोज कुमार ने
न्यायाधीश कुमार गौरव के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर जेल में निरुद्ध आरोपी उमेश कुमार निवासी
लोधई (हाथरस) को सात नवंबर 2020 को रिहा कराया।
उमेश पर एक किशोरी के अपहरण, पॉक्सो और एससी-एसटी के तहत रिपोर्ट दर्ज है।
दूसरा मुकदमा अपर जिला एवं सत्र न्यायालय रेप व पॉक्सो प्रथम के पेशकार नवरतन सिंह ने
लिपिक मनोज कुमार के खिलाफ दर्ज कराया है। इसमें विकास बघेल निवासी बारथर थाना
कोतवाली देहात को नौ दिसंबर 2020 को फर्जी हस्ताक्षरों से आदेश तैयार कर रिहा कराने का आरोप है।
विकास बघेल पर दुष्कर्म के साथ पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज है।
फर्जी आदेश के बाद दो कैदियों को जेल से रिहा किया गया। मामला खुला तो पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह ने बताया कि न्यायिक कर्मचारी की शिकायत के आधार पर एक कर्मचारी के खिलाफ दो रिपोर्ट दर्ज की गयी है. दोनों मामलों में जांच शुरू कर दी गई है।